Tuesday, September 26, 2023
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नियमित दवा के सेवन से ठीक हो जाती है टीबी : डा. रस्तोगी

रिपोर्ट – उपेंद्र शर्मा 

  • बीच में दवा छोड़ने से बिगड़ जाती है टीबी
  • सरकारी अस्पतालों में जांच व उपचार का उचित प्रावधान

 बुलंदशहर, 5 अप्रैल 2023। क्षय रोग (टीबी) की दवा बीच में छोड़ना खतरनाक है। पूरा कोर्स करना जरूरी है, तभी टीबी से मुक्ति मिल सकती है। दवा शुरू होने के एक माह बाद ही रोगी स्वस्थ महसूस करने लगता है। ऐसे में कई रोगी दवा छोड़ देते हैं। बीच में दवा छोड़ने से पुन: टीबी (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी) के शिकार बन जाते हैं, जिनका उपचार मुश्किल हो जाता है। यह कहना है जिला क्षय रोग अधिकारी डा. हेमंत रस्तोगी का। उन्होंने कहा- टीबी रोगी सरकारी अस्पताल में उपलब्ध उपचार की सुविधा का लाभ उठाएं। स्वस्थ होकर समाज को टीबी मुक्त बनाने में योगदान दें।

डा. रस्तोगी ने बताया- टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफड़ों पर होता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है। सबसे सामान्य टीबी फेफड़ों की होती है, जो हवा के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलती है। टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वाली बारीक बूंदों से यह फैलती है। फेफड़ों के अलावा दूसरे अंग की टीबी सामान्यतौर पर ऐसे नहीं फैलती। टीबी खतरनाक इसलिए है क्योंकि यह शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न हो तो उसे बेकार कर देती है। इसलिए टीबी के आसार नजर आने पर जांच करानी चाहिए। अगर लक्षण नजर आ रहे हैं तो तुरंत स्थानीय सरकारी अस्पताल के चिकित्सक से परामर्श करें। बलगम की जांच कराएं।

निक्षय पोषण योजना में मिलते हैं 500 रुपये

डा. रस्तोगी ने बताया – सरकारी अस्पताल में मरीज को जांच व दवा के अलावा प्रतिमाह 500 रुपये निक्षय पोषण योजना के तहत दिये जाते हैं। यह राशि उपचार चलने तक उसके बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर की जाती है। यह धनराशि उसे पौष्टिक आहार लेने के लिए प्रदान की जाती है। उच्च गुणवत्ता का पोषण टीबी को जल्दी ठीक करने में मदद करता है। निजी अस्पताल में मरीज की न तो जांच निशुल्क होती है और न ही दवा। टीबी का इलाज महंगा होता है इसलिए मरीज सरकारी अस्पताल पहुंचकर अपना इलाज कराएं। समय पर स्वस्थ होकर समाज को टीबी मुक्त बनाने में योगदान दें।

लक्षण –
– 10 दिन से ज्यादा लगातार खांसी रहना
– शाम में पसीना आना, बुखार आना
– सीने में दर्द रहना
– बलगम में खून आना
– भूख न लगना
– वजन घटना
– चक्कर आना

“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वर्ष 2025 तक देश से टीबी खत्म करने का संकल्प है। हम सभी को इसे पूरा करने में सहयोग करना है। अगर किसी मरीज को 10 दिन से ज्यादा खांसी रहती है और टीबी से मिलते जुलते लक्षण नजर आते हैं तो वह स्थानीय सरकारी अस्पताल में जाकर बलगम की जांच जरूर कराए। टीबी संक्रमित पाए जाने पर स्वास्थ्य़ विभाग की ओर से उसके उपचार का प्रावधान है।”
डा. विनय कुमार सिंह, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, बुलंदशहर

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