रायबरेली : महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनी डॉक्टर अनु कुठारी

  • 37 वर्षों से अमेरिका में रहते हुए भी डा.अनु कुठारी का मातृभूमि के प्रति लगाव नही हुआ कम
  • सीईएल के साथ मिलकर डा.अनु कुठारी ने गरीब बच्चों का प्रेरणा हाल में कराया एडमिशन
  • बच्चों के अभिभावकों ने डा.अनु कुठारी व सीईएल टीम के प्रति किया आभार प्रकट

रिपोर्ट – अंगद राही

शिवगढ़,रायबरेली। पिछले 37 वर्षों से अमेरिका में रह रही डा. अनु कुठारी का विदेश में रहते हुए भी मातृभूमि के प्रति लगाव कम नही हुआ। राष्ट्र सेवा के उद्देश्य से पिछले कई वर्षों से कम्युनिटी एम्पावरमेंट लैब ‘सक्षम शिवगढ़’ के साथ मिलकर जन सेवा कर रही डॉ.अनु कुठारी महिला सशक्तिकरण की जीती जागती मिसाल बन चुकी हैं। विदेश में रहकर हमेशा मातृभूमि के प्रति चिंतित रहने वाली डॉ.अनु कुठारी कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब सक्षम शिवगढ़ के साथ मिलकर अब- तक अनगिनत नवजात शिशुओं और गर्भवती महिलाओं को नया जीवन दे चुकी है। इसीलिए उन्हें कोई डॉक्टर के रूप में भगवान तो कोई अपना फरिश्ता मानता है। यही नहीं पिछले महीने अमेरिका से स्वदेश लौटी डॉ.अनु कुठारी ने कुछ ऐसा काम किया कि हर कोई उनकी सराहना कर रहा है।

दरअसल में पिछले महीने अमेरिका स्वदेश लौटी डा.अनु कुठारी ने राजधानी लखनऊ में फटे पुराने वस्त्रों में खेलते हुए कुछ बच्चों को देखा तो भावुक हो उठी। उन्होंने जब बच्चों के पास जाकर उनसे पूछा तो पता चला उनकी माताएं दूसरों के घर में साफ-सफाई,चौका बासन करके उनका पालन पोषण करती हैं तो , किसी के पिता रिक्शा चलाकर परिवार का पालन पोषण करते हैं। जिनमें से कई बच्चे तो ऐसे भी थे जिनके पिता का देहांत हो चुका है। ये ऐसे बच्चे थे जिनके अभिभावक आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। जब डॉ.अनु कुठारी ने बच्चों से पढ़ाई के विषय में पूछा तो पता चला कि यह बच्चे एक स्कूल में पढ़ने तो जाते हैं किंतु उन्हें पढ़ना लिखना नही आता है।

आर्थिक तंगी के चलते जिनके माता-पिता चाह कर भी उन्हें अच्छे विद्यालय में नहीं पढ़ा सकते। जिसे जानकर वे काफी चिंतित हुई और उन्होंने सभी बच्चों को अच्छे विद्यालय में पढ़ाने का संकल्प लिया। जिन्होंने कम्यूनिटी एम्पावरमेंट लैब टीम के साथ मिलकर जब बच्चों के अभिभावकों से बात की और उनका नाम अच्छे विद्यालय में लिखाने की इच्छा प्रकट की तो बच्चों के माता-पिता और घर के लोग काफी खुश हुए बच्चों के अभिभावकों को ऐसा लगा मानो उनका सपना साकार हो गया हो।सभी डा.अनु कोठारी और सीईएल टीम का आभार प्रकट करने लगे।

अभिभावकों की सहमती से उन्होंने 9 वर्षीय रूपा कुमारी,6 वर्षीय संजना कुमारी,15 वर्षीय सूरज साहू,9 राधिका, वर्षीय अंजली,14 वर्षीय अंजली गौतम,7 वर्षीय पूजा साहनी, 12 वर्षीय साजन कुमार सहित बच्चों का चयन करके उनका एडमिशन स्टडी हॉल के प्रेरणा हाल में कराकर मानवता की सच्ची मिसाल पेश की। विदित हो कि अनु कोठारी “किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ” से मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के पश्चात 1979 में अमेरिका चली गई थी। जहां अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में पिछले 35 वर्षों से महिला विशेषज्ञ के पद पर रहकर मां और शिशु को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करा रही थी। किंतु इस दौरान उनका अपनी मातृभूमि के प्रति लगाव कम नहीं हुआ।

37 वर्षों से अमेंरिका में रह रही डा.अनु कुठारी अपने देश के ग्रामीण अंचल की गरीब माताओं और नवजात शिशुओं को सम्मानजनक एवं बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से अमेरिका से स्वदेश लौट आई तो स्वदेश से लौटने के बाद उन्होंने देश के तमिलनाडु, बिहार एवं उत्तर प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में ग्रामीण अंचल की माताओं को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं के विषय में जाना और समझा, जिसे देख कर महिला विशेषज्ञ डॉ. अनु कुठारी अत्यंत दुखी हुई।

जिन्होंने महसूस किया की गर्भवती माताओं का सम्मानजनक प्रसव कराने के उद्देश्य से सरकार कई तरह की महत्वाकांक्षी योजनाएं चला रही है किंतु जागरूकता के अभाव में माताओं को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। डॉ.अनु कोठारी का सपना है कि हर मां को गर्भ धारण करने से लेकर प्रसव के उपरांत तक सम्मानजनक स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें, और जब नवजात शिशु इस दुनिया में आंखें खुले तो अपने आप को बिल्कुल सुरक्षित महसूस करें। अपने इसी सपने और संकल्प को पूरा करने के लिए डॉ. अनु कोठारी ने कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब को ज्वाइन किया है। जो वर्तमान में कम्युनिटी एंपावरमेंट लैब टीम का एक अहम हिस्सा बन चुकी हैं।

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