रायबरेली नगर निकाय चुनाव : कहीं इतिहास अपने आप को न दोहराए सन 2000 में क्या हुआ था?

रिपोर्ट – धैर्य शुक्ला 

रायबरेली: इस समय नगर निकाय के चुनाव अपने शबाब पर हैं रायबरेली में प्रथम चरण 4 मई को वोट पड़ने हैं सभी राजनीतिक दल अपनी पूरी ताकत लगाए हुए हैं सत्ता पक्ष मुख्यमंत्री से लेकर मंत्रियों का हुजूम इस समय दरवाजे दरवाजे वोट मांग रहा है जनता खामोश बैठी है हर आने वाले प्रत्याशी को आश्वासन तो देती है लेकिन जनता के मूड का कुछ पता नहीं अगर रायबरेली नगर पालिका की बात की जाए तो पिछली बार कांग्रेस प्रत्याशी पूर्णिमा श्रीवास्तव चुनाव जीती थी लेकिन चंद दिनों में पाला बदलकर सत्ता रूढ़ भाजपा के खेमे में चली गई जनता इनके कामों से कतई संतुष्ट नहीं दिखती है क्योंकि वर्तमान अध्यक्ष पूर्णिमा श्रीवास्तव और उनके पति मुकेश श्रीवास्तव इस चुनाव में कहीं नजर नहीं आ रहे हैं शायद पार्टी ने उन्हें साइलेंट रहने का निर्देश दिया है क्योंकि उसका नुकसान पार्टी को हो सकता है.

क्या हुआ था सन 2000 में

रायबरेली नगर पालिका के चुनाव सन 2000 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव अपने प्रत्याशी का चुनाव प्रचार करने रायबरेली शहर आए थे लेकिन भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मनोज कुमार पांडे ने सपा प्रत्याशी को भारी अंतर से चुनाव में शिकस्त दी थी ठीक इसी तरह इस बार भी सुबह के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अभी 2 दिन पहले ही अपनी जनसभा करके गए हैं इतिहास अपने आप को दोहराता है तो भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को क्या शिकस्त का सामना करना पड़ेगा खैर यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा फिलहाल रायबरेली नगर पालिका का चुनाव मुख्य रूप से त्रिकोणी होता दिख रहा है जिसमें सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस तीनों ही पार्टी के दावेदार अपनी जोर आजमाइश करते हुए देखे जा सकते हैं.

किसका रहा है नगरपालिका में ज्यादा दबदबा

वैसे अगर रायबरेली नगर पालिका की बात की जाए तो यहां पर ज्यादातर कांग्रेसका ही दबदबा रहा है 4 बार कांग्रेस का अध्यक्ष बना है जबकि दो बार भारतीय जनता पार्टी तथा एक बार समाजवादी पार्टी का कब जा रहा है.

सत्तारूढ़ भाजपा खेमो में बटी हुई दिखाई दे रही है

एक भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न लिखे जाने की शर्त पर बताया कि वर्तमान चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पूरी तरीके से कई हिस्सों में बटी हुई है क्योंकि उसका कारण यह है कि मूल कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं दिया जा रहा है ना ही उनकी कोई राय ली जा रही है नगर पंचायतों के रहने वाले नेता इस समय शहर में डेरा डाले हुए हैं और होटलों की ठंडी ठंडी हवा लेकर पूरी चुनावी गणित तय कर रहे हैं यही नहीं एक नेता ने यहां तक आरोप लगाया कि कई नेताओं के रिश्तेदार भी अपना काम छोड़कर शहर में इस समय डेरा डाले हुए हैं.
अगर भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी शालिनी कनौजिया की बात की जाए तो उनकी पहचान उनके पति चिकित्सक बीरबल की पत्नी के रूप में ही की जाती है उनकी ना तो कोई समाजसेवी छवि है ना ही उनका कोई राजनैतिक अनुभव इसका भी नुकसान भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में हो सकता है क्योंकि अन्य पार्टियों के मुकाबले भाजपा के प्रत्याशी के प्रति लोगों का रुझान उतना अच्छा नहीं दिखाई देता है.

समाजवादी पार्टी में भी अंतर कलह

रायबरेली नगर पालिका चुनाव में वैसे तो पारसनाथ को अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया गया है लेकिन चुनाव की पूरी बागडोर पूर्व कैबिनेट मंत्री ऊंचाहार विधायक मनोज पांडे ने संभाल रखी है उनके साथ उनके छोटे भाई अमिताभ पांडे घर घर जाकर वोट मांग रहे हैं जनता भी आश्वासन दे रही है लेकिन यह आश्वासन कोर्ट में कितना बदलेगा यह तो आने वाला समय बताएगा फिलहाल समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष मोहम्मद इलियास नाराज होकर पार्टी छोड़ चुके हैं और उन्होंने सार्वजनिक तौर पर सपा की जमानत जप्त कराने की बात भी कही है वह कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं और कांग्रेस प्रत्याशी के लिए रात-दिन एक किए हुए हैं.

समाजवादी पार्टी का बेस वोटर वैसे तो मुस्लिम और यादव माना जाता है लेकिन मोहम्मद इलियास के पार्टी छोड़ने के बाद मुस्लिम वोटर भी दो भागों में बटा हुआ दिखाई दे रहा है ब्राह्मण वोटर नगर पालिका रायबरेली के चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा कर सकता है क्योंकि अगर जातीय गणित की बात की जाए तो ब्राह्मण मतदाता समाजवादी पार्टी के साथ काफी बड़ी संख्या में जा सकता है इसकी वजह पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोज कुमार पांडे हो सकते हैं प्रत्याशी का चेहरा भी काफी मायने रखता है इसको लेकर लोगों में वह वह की स्थिति बनी हुई है यह तो 4 तारीख को तय होगा कि समाजवादी पार्टी तथा पूर्व कैबिनेट मंत्री मनोज कुमार पांडे वोटरों को रिझाने में कितना कामयाब हो पाए हैं

कांग्रेस का चुनाव ठीक-ठाक है लेकिन हाईकमान का अभी तक कोई रुझान नहीं

वैसे नगर पालिका रायबरेली के चुनाव में कांग्रेस ने अपने एक पुराने कार्यकर्ता शत्रुघ्न सोनकर को टिकट दिया है और अभी तक के चुनाव में शत्रुघ्न सोनकर ठीक-ठाक की स्थिति में दिखाई दे रहे हैं कांग्रेस  पार्टी भी पूरी दमखम के साथ चुनाव में लगी हुई है लेकिन यहां पर हाईकमान से अभी तक कोई बड़ा नेता या कोई बड़ा चेहरा रायबरेली नगर पालिका के चुनाव में नजर नहीं आया है चुनाव को अंतिम समय तक संजो कर रखना सबसे बड़ी बात होती है जो माहौल कांग्रेस के पक्ष में बनता हुआ दिखाई दे रहा है कहीं अंत में यह स्थिति बिगड़ ना जाए यह भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात होगी।

मुख्यमंत्री तीन मंत्री एक विधायक की साख दांव पर

रायबरेली नगर पालिका चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है यहां पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक जनसभा को संबोधित किया उसके अलावा प्रभारी मंत्री प्रतिभा शुक्ला राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार दिनेश प्रताप सिंह वीरेंद्र तिवारी के साथ सदर विधायक आदित्य सिंह अपनी पूरी ताकत लगाए हुए हैं अगर इसके बाद भी चुनाव परिणाम सकारात्मक नहीं आता है इन सब की साख भी दांव पर लगी हुई है इसीलिए यह लोग एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं लेकिन बड़े मंत्री बड़े नेताओं के आ जाने से चुनाव परिणाम नहीं आते क्योंकि जनता को विकास चाहिए जो कि पिछले 5 सालों में धरातल पर कतई नहीं दिखाई दिया है किसी का विश्वास दिलाते हुए सत्ता पक्ष के बड़े नेता इस समय पसीना बहाते हुए देखे जा सकते हैं जो कभी टूटी हुई नालियों जलभराव एवं बिगड़े हालातों का जायजा लेने तक नहीं आते आज बड़ी-बड़ी कसमें खाते हुए दिखाई दे रहे हैं यह तो जनता है सब जानती है और उसको फैसला भी 4 मई को करना है जनता को सिर्फ अपने शहर अपने नगर पालिका क्षेत्र का विकास चाहिए इसके अलावा कुछ नहीं सूत्रों हवाले से

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