ईद पर विशेष | Eid 2022

ईद पर विशेष

रायबरेली : आईएसबीटी पर पैर रखने की जगह नहीं थी। हर कोई चिड़िया बनकर अपनों के बीच ईद मनाने पहुंच जाना चाह रहा था। सुलेमान भी भीड़ को चीरता उस तरफ बढ़ा चला जा रहा था जिधर उसके ज़िले की बस लगती थी। किसी तरह वहां पहुंचा तो एक बस नज़र आई। बस के माथे पर अपने ज़िले के नाम वाली डिपो बस देख कर वह खुश हो गया। जल्दी से अंदर घुसा और एक सीट पर बैठ गया।

देखते ही देखते पूरी बस भर गई। सवारियां एक दूसरे पर चढ़ी जा रही थीं। सुलेमान अपनी सीट पर भीड़ के दबाव से सिकुड़ता जा रहा था। उसके सामानों वाली पोटली को कभी कोई सवारी लात मारती कभी कोई सवारी गुस्से से उठा कर दूर फैंक देती। उस पर बेतहाशा गर्मी। किसी तरह बस चली तो थोड़ी हवा लगी और सवारियों ने राहत की सांस ली। रात भर बस चलती रही और सुलेमान अपनी पोटली को संभाले घर जल्द से जल्द पहुंचने को बेताब रहा। वह ख्यालों में खोया याद करता जा रहा था कि पोटली में वह सब है न जो जो उसकी बीवी ने मंगवाया था।

सिवइयां,शकर,गऊ मार्का रंग,नारियल,घी,सब कुछ उसने एक बार फिर याद किया और मुतमईन हो गया कि हर वह सामान है जो बीवी ने मंगवाया था। मासूम बेटी ने नए सुर्ख घांघरे की ख्वाहिश की थी। करीने से तह करके उसने घाँघरा भी रखा है। बीवी की बालों वाली छोटी तो बहुत ही ज़रूरी थी। सलमा की हिरस में उसकी बीवी ने खास तौर पर मंगवाया था। छोटे भाई की रग्ड जीन्स भी रख ली थी। सलमान खान की फ़िल्म देखने के बाद से ही बराबर फोन करके कहता था,भैया ईद पर आना तो ले कर आना। वह तो अल्लाह की मेहरबानी रही कि उसे अमानी की जगह पुताई का ठेका मिल गया था।

पुताई करते उसका साथी मजदूर गिरकर मरा न होता तो कंजूस मालिक कभी ठेका न देता। अमानी पर ही रगड़वाये रहता। वैसी हालत में तो मुमकिन ही न था कि सबकी ख्वाहिश पूरी होती। इसी उधेड़ बुन में वह कब अपने ज़िले के बस अड्डे पर पहुँच गया पता ही नहीं चला। यहां थोड़ी देर बस रुक कर उसके गांव के रास्ते आगे जाने वाली थी इसलिए वह तो बैठा रहा बाकी आधी से ज़्यादा सवारियां उतर गयीं। बस थोड़ी खाली हुई तो सुलेमान ने गोद में उठाई पोटली को साइड वाली सीट पर रख दी। तभी अचानक बस पर सवारियों का रेला चढ़ा।

सुलेमान को याद न रहा कि इसकी पोटली साइड वाली सीट पर है। सवारियों की भीड़ में से किसी ने तीन बार आवाज़ लगाई यह पोटली किसकी है। जवाब न मिला तो उसने ग़ुस्से में पोटली उठाकर नीचे फेंक दी। तब तक सुलेमान की निगाह पड़ गई। वह सवारी को गाली देता पोटली उठाने दौड़ा। पोटली फेंकने वाले के साथ आठ दस लड़के थे। किसी मजदूर टाइप आदमी का गाली देना भला उनसे क्यों बर्दाश्त होता। सुलेमान को नवजवानों ने पीट पीट कर मार डाला। पुलिस जब मौके पर पहुंची तो बस पर सुलेमान की छत विछत लाश पड़ी थी और बस के नीचे फटी पोटली से छिटक कर इधर उधर बिखरे सामानों में सिवइयां,बाल की चोटी,लाल घाँघरा और दूर पड़ी एक नीले रंग की रग्ड जीन्स।

 

वरिष्ठ पत्रकार सैय्यद हुसैन अख्तर की कलम से

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