कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय एवम प्राथमिक विद्यालय की भूमि का सीमांकन एवम अंकन की मांग

रायबरेली: योगी आदित्यनाथ सरकारी भूमि पर हुए अवैध कब्जें पर तत्काल कार्यवाही कराने के लिए कितने ही फोरम बना दें लेकिन यदि गावं में बैठे अधिकारी नहीं चाहेंगे तो तहसील और थाने के सैकड़ों चक्कर लगाने के बाद भी किसी समस्या का कोई समाधान नहीं होगा और न ही कोई कार्यवाही होगी। ज्ञात हो कि गावं स्तर पर सबसे ज्यादा शिकायतों के मामले राजस्व विभाग से संबंधित रहते है और और जिसका समाधान लेखपाल को ही करना होता है और यदि जिस गावँ का लेखपाल ही सर्वेसर्वा हो जाय तो वहाँ के लोग क्या करेंगे।

सरकारी विद्यालयों की भूमि पर यदि कोई अवैध रूप से कब्जा कर रहा है तो यदि आपने फोन पर लेखपाल से या किसी से भी शिकायत की तो यह एक ही बात करते हैं कि लिखित शिकायत कीजिए तो दिखवाते हैं। और यदि कोई लिखित रूप में अवैध कब्जे की शिकायत करता भी है तो उस प्रार्थना पत्र पर कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती हैै तथा सरकारी विद्यालय के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया जाता है जबकि बेसिक शिक्षा विभाग के सभी परिषदीय विद्यालयों में शासन के निर्देश पर गावं में कार्यरत लेखपाल को विद्यालय प्रबंध समिति में पदेन सदस्य के रूप में रखा गया है जिससे कि विद्यालय में भूमि से संबंधित किसी भी प्रकार की कोई समस्या न हो.

यह स्थिति पिछले कुछ समय से महराजगंज तहसील के शेखपुर समोधा ग्राम पंचायत की है जहां जनता की समस्याओं को छोड़िये ग्राम प्रधान द्वारा की गई शिकायतों का निस्तारण लेखपाल द्वारा नहीं किया जाता उल्टे ग्राम ग्राम पंचायत के नक्शे की भूमि की ब्याख्या अपने नफे नुकसान के अनुसार की जाती है।ताजा मामला विकास खण्ड बछरावां की ग्राम पंचायत शेखपुर समोधा के गोझवा मनाखेड़ा गावं का है जहाँ के प्रधान गया प्रसाद ने गावं के लेखपाल से प्राथमिक विद्यालय गोझवा के गेट के बाहर जल निकासी हेतु पड़ीं पाइप का पटान करते हुए परिसर में अवैध कब्जा कर लेने तथा गावं की ओर का समस्त पानी विद्यालय में भरने की शिकायत लेखपाल से की।

उक्त जल निकासी की समस्या के समाधान हेतु विद्यालय हेतु प्रस्तावित भूमि पर हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए लेखपाल से अनुरोध किया। प्राथमिक विद्यालय गोझवा के जल निकासी की समस्या का समाधान कराने आये लेखपाल के सामने ही ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि को अतिक्रमण कारियों द्वारा भद्दी-भद्दी गालियां दी गई तथा नाले की सफाई का कार्य रुकवा दिया गया।

इस घटना क्रम के दौरान लेखपाल द्वारा यह कहा गया कि हमारे अभिलेखों में कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय एवम प्राथमिक विद्यालय गोझवा के नाम कोई भूमि नहीं है और न ही कोई प्रस्ताव मुझे प्राप्त हुआ जबकि ग्राम प्रधान के अनुसार गाटा संख्या 1803मि0/0.759 हे0 बंजर भूमि के खाते में दर्ज है पर कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय का प्रस्ताव दिनांक 28/11/2010 को गाटा संख्या 1803 मि0/1.065 हे0 एवम प्राथमिक विद्यालय गोझवा हेतु 1803/0.253.दिनांक 15/12/2011 को भूमि का प्रस्ताव पूर्व प्रधान द्वारा किया गया था परंतु कई वर्ष बीत जाने के बाद भी स्कूल की भूमि का अंकन राजस्व के अभिलेखों में नहीं हुआ।

ग्राम प्रधान का यह भी कहना है कि शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालय का निर्माण कराने हेतु ग्राम भूमि प्रबन्ध समिति से आवश्यकता अनुसार भूमि के प्रस्ताव एवम नक्शा-नजरी लें लिया जाता है लेकिन अपने विद्यालय के नाम भूमि अंकन हेतु कोई प्रयास नहीं किया जाता है उल्टे ग्राम प्रधान को ही हर कार्य के लिए आगे कर दिया जाता है। यदि यही स्थिति बनीं रहीं तो किसी दिन मेरे साथ कोई अप्रिय घटना भी घट सकती है।

इस संबंध में ग्राम प्रधान द्वारा जिलाधिकारी महोदया को प्रार्थना पत्र भी दिया गया हैं।ग्राम प्रधान गया प्रसाद द्वारा प्रशासन से मांग की गई कि गाटा संख्या 1803मि0/0.759 हे0 की समस्त भूमि, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय एवम अन्य सभी सरकारी संस्थानों को दी गई भूमि का सीमांकन,अंकन कराते हुए अवैध कब्जे से मुक्त कराया जाए तथा उसके रखरखाव की जिम्मेदारी संबंधित विभाग एवं लेखपाल को दी जाए जिससे कि हमें किसी अन्यथा की स्थिति का सामना न करना पड़ें और हमारा मान सम्मान सुरक्षित रह सकें।

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