मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने वाली याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया तगड़ा झटका

देश में CAA-NRC और हिजाब को लेकर छिड़े संग्राम के बाद अब इस वक्त लाउडस्पीकर का मुद्दा गर्माया हुआ है। हालांकि इसे लेकर अब नियम भी लागू हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस है कि रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर का इस्तेमाल नहीं किया जाए। हालांकि ऑडिटोरियम, कॉन्फ्रेंस हॉल, कम्युनिटी और बैंक्वेट हॉल जैसी बंद जगहों पर इसे इस्तेमाल में लाया जा सकता है।

उत्तर प्रदेश में तो 54 हजार से ज्यादा मस्जिदों से लाउडस्पीकर को हटाया जा चुका है। वहीं, 60 हजार लाउडस्पीकर की आवाज कम कर दी गई है। हालांकि कोर्ट के इस फैसले के बाद भी कुछ लोग मानने तो तैयार नहीं है। अब इस मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है।

बता दें, इरफान नाम के शख्स ने याचिका दाखिल की थी जिसमें उसने मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने की मांग की थी। शख्स ने याचिका में बदायूं जिले के बिसौली एसडीएम के 3 दिसंबर 2021 को दिए गए उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें एसडीएम ने अजान के लिए धोरनपुर गांव की नूरी मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इरफान ने याचिका में एसडीएम के आदेश पूरी तरह से अवैधानिक बताया था और कहा था कि ये आदेश मौलिक और कानूनी अधिकारों का हनन करता है।

इस याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सख्त टिप्पणी करते हुए मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका भी खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाना मौलिक अधिकार नहीं है। इसे लेकर कानून प्रतिपादित हो चुका है कि लाउडस्पीकर का मस्जिदों पर उपयोग करना संवैधानिक अधिकार नहीं है। ऐसे में याचिका का कोई अर्थ ही नहीं है।

लाउडस्पीकर को लेकर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस है कि रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर का इस्तेमाल न किया जाए। हालांकि, ऑडिटोरियम, कॉन्फ्रेंस हॉल, कम्युनिटी और बैंक्वेट हॉल जैसे बंद स्थानों पर इसका इस्तेमाल बिना किसी रूकावट के किया जा सकता है।

उत्तर प्रदेश में तो लाउडस्पीकर को लेकर अभियान तेजी पर है। अब तक करीब 54 हजार से ज्यादा मस्जिदों से लाउडस्पीकर को हटा लिया गया है और 60 हजार लाउडस्पीकर की आवाज कम कर दी गई है। वैसे संविधान में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर नॉयज पॉल्यूशन (रेगुलेशन एंड कंट्रोल) रूल्स, 2000 में प्रावधान है।

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