होली क्यों मनाई जाती है और कैसे | Holi Festival

होली मनाने के कई कारण हैं | Holi Festival | Colour festival 

पहला तो यह कि आज के दौर में लोगों के पास इतना ज्यादा समय का आभाव है कि लोगों के पास बैठने   और बात का का तो समय नहीं है किसी से   हाल पुछेने का भी समय नहीं है इस भागम भाग जिंदगी में एक ऐसा त्यौहार होली है जिसमें  लोग खुद समय निकाल कर एक दूसरे का घर जाते हैं और इस परंपरा को त्योहार के रूप में मनाते हैं। दूसरा कारण यह भी है कि आज के समय में लोगों के पास एक दूसरे के लिए इतनी नफरत है जिससे कि कोई एक दूसरे को देखना नहीं पसंद करता लेकिन होली का मात्र एक ऐसा त्यौहार है जो कि दुश्मन को भी लोगों को बड़े प्रेम से गले लगाते हैं इस त्यौहार में गले लगने से काफी शिकवे गिले भी दूर हो जाते हैं जिनका तीसरा कारण यह भी है कि लोग होली को रंगों का त्योहार भी माना जाता है जिसमें होली के पर्व में ही सभी लोग एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर अपना प्यार एक दूसरे को बांटते हैं और  ।

होली का त्यौहार कब से मनाया जा रहा है   जो आप सभी जरूर कुछ ना कुछ जानते होंगे होली का मुख्य कारण है बुराई पर अच्छाई की जीत हिरण्यकश्यप एक राजा था वह भगवान विष्णु का बहुत ही कट्टर दुश्मन और वह अपने समस्त प्रजा को भगवान विष्णु की पूजा आराधना करने से मना करता था अगर वह जान जाता था कि इस घर में भगवान की पूजा हो रही है तो वह उसे मृत के घाट उतार देता था लेकिन कुछ दिन बाद उसके घर में  पुत्र प्राप्ति हुई जिसका नाम उसने प्रहलाद रखा था बताया जाता है कि जब प्रहलाद का जन्म हुआ था तब जन्म के उपरांत ही उसने भगवान  विष्णु का नाम नारायण लिया था जिसे सुनकर हिरण्य कश्यप ने उसे बहते हुए जल में फेंक दिया तब बताया जाता है कि भगवान विष्णु ने कागज की नाव बनाकर के उसमें प्रहलाद को रोक लिया था और फिर उसने इसी तरह कई बार प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया जैसे कि जलते खंभे में बांधा और गहरी खाई से  नीचे फेंक दिया  कॉल लेते तेल में डाला प्रह्लाद  हर बार बच गया तब उसने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को गोद में लेकर  जलती हुई अग्नि में  बैठायाकहा जाता है कि देवताओं द्वारा होलिका को अंग वस्त्र प्राप्त हुआ था जिससे होलिका आग में जल नहीं सकती थी लेकिन देवताओं ने बताया था कि यह    वस्त्र तुम्हारी सुरक्षा के लिए है और इसे जब किसी पर कोई मुसीबत है तो दूसरे के भले के लिए तुम पहन कर उसकी मदद करना कभी इसे बुरे कर्मों में प्रयोग नहीं करना नहीं तो तुम्हें भी हानि हो सकती है ।

होलिका ने प्रहलाद को मारने के लिए उस  वस्त्र को पहना को  लेकिन जब आग लगाई गई तो आग मे होली का  जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद नारायण नारायण कहकर आग से फिर जिंदा बच गए  जब इस पर भी प्रहलाद की मृत्यु नहीं हुई तो हिरण्यकश्यप ने अपने हाथ में तलवार लेकर प्रहलाद को मारना चाहा तभी भगवान विष्णु ने नृसिंह का रूप रखकर के अपनी  जंघा पर लिटा कर ठीक  सांय काल के समय  चौखट के बीचो बीच में खड़े होकर अपने  पैने नाखूनों से  कश्यप का वध कर दिया है कश्यप ने घोर तपस्या करके ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया था कि हे प्रभु मेरी मृत्यु ना तो अस्त्र से हो और ना ही शस्त्र से ना मैं दिन में मरू और ना ही रात हो ना मैं सुबह  मरूं और ना ही दोपहर में ना मेरी मृत पशु से हो और ना ही मनुष्य से और ना मैं धरती पर  मरूं और ना आकाश में इस तरह से आदि  वचनों को कहकर ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया ब्रह्मा द्वारा वरदान पाकर उसको अहंकार आ गया और वह खुद को ही भगवान समझने लगा लेकिन वह यह भूल गया था कि देवता लोग जब कोई वरदान देते हैं तो उससे पहले उसका अंत जरूर   ढूंढ लेते हैं इस तरह  हिरण्य कश्यप की मृत्यु अहंकार बस हुई थी तब से होली का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है होली।

मनाने का अपने अपने यहां का अलग अलग तरीका है जैसे कि बरसाना की होली  यहा महिलाएं पुरुषों को लाठियां मारती है जिसे की लट्ठमार होली कहा जाता है। बरसाने में लठमार होली क्यों मनाई जाती है

 कहा जाता है जब भगवान कृष्ण राधा से मिलने ग्वाल  बालों के संग में बरसाने होली खेलने आए थे और राधा अपनी सभी सखियों के साथ होली खेल रही थी और हंसी ठिठोली सभी ग्वाल बाल हंसी ठिठोली कर रहे थे तब राधा और उनकी संख्या  एक एक छड़ी लेकर मारती थी मारती हैं तब से बरसाने में लट्ठमार होली मनाई जाती है होली ।

त्यौहार पर क्या-क्या बनाया जाता है  होली के त्यौहार में महिलाएं अपने घरों में आठ 10 दिन पहले से ही पापड़ चिप्स और चावल से जलेबी इत्यादि बना कर रखती है कि हमारे घर होली में सभी लोग आएंगे और हम फिर उनको बड़े प्रेम से उनके सामने बना वह सब कुछ रखेंगे और फिर घर की अच्छे से साफ सफाई करती हैं  दिवालो की पुताई  आदि करती है रंगोली बनाती है  गुछिया पेड़ा नमकीन खुरमा मीठे खुरमा नमकीन इत्यादि बनाती है और होली के दिन खूब सारे पकवान बनाते हैं और फिर खूब बड़े हर्षोल्लास के साथ होली का पर्व मनाया जाता है होली वाले दिन रात को सब गांव के पुरुष महिलाएं पंडित आदि जाकर होली की विधि अनुसार होली की पूजा करते हैं और पूजा पाठ करके परिक्रमा करते हैं होली को जलाते हैं और सभी महिलाएं जो अपने घरों में गोबर से बल्ला होली आदि बनाती है उनको भी होली में डालने के लिए ले जाती हैं सभी लोग होली  तापते हैं और गेहूं की बालिया मटर चना आदि को भूल कर लाते हैं और होली की थोड़ी थोड़ी आग लेकर घर में महिलाएं जो गोबर से बल्ला  बनाती हैं होली बनाती हैं उससे आंगन में पूजा करके होली जलाई जाती है और होली के किनारे किनारे रंग गुलाल उड़ाए जाते हैं और फिर उसके बाद होली का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाती है।

होली में क्या करें और क्या न करें होली में क्या करें सबसे पहले सभी देवी देवताओं को रंग गुलाल आदि लगाए लेकिन एक बात जरूर याद रखें कि सबसे पहले होली का रंग और गुलाल राधा और भगवान कृष्ण को लगाना चाहिए अपने घर के मुख्य द्वार पर गुलाल जरूर   छिड़के जो कि आपके सभी वास्तु दोषों को समाप्त कर देगा फिर अपने से बड़े बुजुर्गों के पैर छुए और उनका शुभ आशीर्वाद प्राप्त करें इस दिन अगर आप का  शत्रु भी मिले तो उसे भी श्रद्धा भाव से गले लगाकर प्रणाम करें और उसको भी रंग लगाएं जिससे भी खेलें उसके हिसाब का ही रंग और गुलाल लगा जिससे कि किसी को कोई नुकसान ना हो और होलिका दहन में आग की सबसे पहले जो जवाला प्रज्वलित होती है उसे महिलाओं को नहीं देखना चाहिए अगर किसी को कुष्ठ रोग हो तो वह घर से किसी पात्र में पानी ले जाकर होली में गर्म करके उस पानी से स्नान करने के बाद होली  तापे तो उसके शरीर से कहा जाता है कि कुष्ठ रोग नष्ट हो जाते हैं सारे कीटाणु उस जल से समाप्त हो जाते हैं अगर होली में आप अलसी कपूर  लौंग इत्यादि डालते हैं तो इससे आपके घर के सभी वास्तु दोष मिट जाते हैं अगर किसी वृक्ष में फल लगते हैं लेकिन उसमें कीड़े पड़ जाते हैं तो बस एक फल तोड़कर होलिका में डाल देने से कीड़े नहीं लगती ।

होली में क्या नहीं करना चाहिए होली में  तापते वक्त थूकना नहीं चाहिए और शराब पीकर ड्राइविंग नहीं करना चाहिए   नहीं तो दुर्घटना हो सकती है रंग खेलते समय किसी के कपड़े नहीं  फाड़ने चाहिए और त्वचा पर पक्के रंग या फिर मौरंग गिट्टी रहित रंग का प्रयोग नहीं करना चाहिए इससे त्वचा को हानि पहुंच सकती है रंग लगाते समय आंखों का विशेष ध्यान देना चाहिए जिससे आंखों के अंदर  रंग न लगने पाए गांव देहातों में कुछ लोग रंग में जला मोबिल मिलाकर चेहरे पर लगा देते हैं जिससे कि किसी की आंखें खराब हो सकती हैं या कोई एलर्जी भी हो सकती है

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