Rae Bareli Assembly Seat : वीवीआईपी रायबरेली का जनमानस राजनीतिक ठगी का शिकार?

लेखक – अशोक कुमार गौतम

रायबरेली (Rae Bareli Assembly Seat) की स्थापना सन 1858 में हुई थी। उससे पहले मुल्ला दाऊद, जायसी, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, मधुकर खरे,राजा राना बेनी माधव सिंह, वीरा पासी, राजा बलदेव, राजा डलदेव, लालचंद स्वर्णकार, गर्ग ऋषि आदि की जन्मस्थली और कर्मस्थली रही है। स्वाधीनता संग्राम के लिए दूसरा जलियांवाला बाग कहा जाने वाला मुंशीगंज गोलीकाण्ड, सरेनी गोलीकाण्ड, फुरसत गंज गोलीकाण्ड, करहिया बाजार गोलीकाण्ड, सेहगों गोलीकाण्ड की गूंज लंदन तक सुनाई पड़ती थी। कहने को तो रायबरेली कागजों पर वीवीआइपी जिला की श्रेणी में रखा गया है, किंतु अफसोस जैसा नाम वैसा काम नहीं दिखता है। जिले में आज 6 विधानसभा क्षेत्र हैं। इंदिरा गाँधी के प्रधानमंत्रित्व काल में सन 1970 से 1980 के दशक को रायबरेली का स्वर्णिम काल कहा जाए, तो अतिशयोक्ति न होगी। इस अवधि में जनपद में नहरों अल्लिकाओं, लघु-कुटीर उद्योगों और बड़ी फैक्ट्रियों की स्थापना हुई। रायबरेली जिला कभी किसी सत्ता का गुलाम नहीं रहा है।

सरकारी गलत नीतियों के कारण आयरन लेडी इंदिरा गांधी को भी जय नारायण के हाथों पराजित होना पड़ा

सरकारी गलत नीतियों के कारण आयरन लेडी श्रीमती इंदिरा गांधी को भी जय नारायण के हाथों पराजित होना पड़ा था। आज विश्वव्यापी करोनाकाल ने जनमानस की रीढ़ तोड़ दी है। तो कुछ व्यावसायिक लोगों ने इस आपदा को अवसर भी समझा है। सम्पूर्ण रायबरेली जनपद में हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म के लोग रहते हैं। जनपद की गंगा-जमुनी तहज़ीब अमन और शान्ति का पैगाम देती है, जो अनुकरणीय है। की स्थापना सन 1858 में हुई थी। उससे पहले मुल्ला दाऊद, जायसी, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, मधुकर खरे,राजा राना बेनी माधव सिंह, वीरा पासी, राजा बलदेव, राजा डलदेव, लालचंद स्वर्णकार, गर्ग ऋषि आदि की जन्मस्थली और कर्मस्थली रही है। स्वाधीनता संग्राम के लिए दूसरा जलियांवाला बाग कहा जाने वाला मुंशीगंज गोलीकाण्ड, सरेनी गोलीकाण्ड, फुरसत गंज गोलीकाण्ड, करहिया बाजार गोलीकाण्ड, सेहगों गोलीकाण्ड की गूंज लंदन तक सुनाई पड़ती थी।

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रायबरेली कागजों पर वीवीआइपी जिला की श्रेणी में रखा गया है

कहने को तो रायबरेली कागजों पर वीवीआइपी जिला की श्रेणी में रखा गया है, किंतु अफसोस जैसा नाम वैसा काम नहीं दिखता है। जिले में आज 6 विधानसभा क्षेत्र हैं। इंदिरा गाँधी के प्रधानमंत्रित्व काल में सन 1970 से 1980 के दशक को रायबरेली का स्वर्णिम काल कहा जाए, तो अतिशयोक्ति न होगी। इस अवधि में जनपद में नहरों अल्लिकाओं, लघु-कुटीर उद्योगों और बड़ी फैक्ट्रियों की स्थापना हुई। रायबरेली जिला कभी किसी सत्ता का गुलाम नहीं रहा है। सरकारी गलत नीतियों के कारण आयरन लेडी श्रीमती इंदिरा गांधी को भी जय नारायण के हाथों पराजित होना पड़ा था। आज विश्वव्यापी करोनाकाल ने जनमानस की रीढ़ तोड़ दी है। तो कुछ व्यावसायिक लोगों ने इस आपदा को अवसर भी समझा है। सम्पूर्ण रायबरेली जनपद में हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई धर्म के लोग रहते हैं। जनपद की गंगा-जमुनी तहज़ीब अमन और शान्ति का पैगाम देती है, जो अनुकरणीय है।

प्रस्तुत है विधानसभाओं का संक्षिप्त वर्णन-

सरेनी विधानसभा (Rae Bareli Assembly Seat)


सरेनी विधानसभा(Rae Bareli Assembly Seat) – सरेनी विधानसभा(Rae Bareli Assembly Seat) और बैसवारा कलम-कृपाण कौपीन (लँगोटी) से समृद्ध क्षेत्र है। सरेनी विधानसभा का दक्षिणी क्षेत्र को सदानीरा माँ गंगा अनवरत अपना गंगाजल रूपी आशीर्वाद प्रदान करती है। इस क्षेत्र में इंदिरा गाँधी के प्रधानमंत्रित्वकाल में नहरों का जाल बिछा था, जिसमें वर्ष भरपूर पानी बहता रहता था। कृषि योग्य भूमि और दोमट मिट्टी होने के कारण लोगों का पलायन न के बराबर था। कहिंजर गाँव आलू की उत्कृष्ट किस्म की पैदावार और बॉलीवॉल की नर्सरी के लिए प्रसिद्ध था। विभिन्न राजनीतिक दलों के विधायक क्षेत्र से बनते रहे और स्वयं बन भी गए हैं, किंतु किसी ने एक भी उद्योगधंधा, फैक्ट्री, राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज, राजकीय डिग्री कॉलेज स्थापित करने की दिशा में कदम नहीं बढ़ाया है। उच्च शिक्षा की प्राप्ति हेतु बैसवारा स्नातकोत्तर महाविद्यालय, लालगंज और सन 1973 में स्थापित कमला नेहरू स्नातकोत्तर महाविद्यालय, तेजगाँव गरीबों और मध्यवर्ग के लिए आज भी संजीवनी का कार्य कर रहे हैं। क्षेत्र में रोजगार के पर्याप्त सुविधा न होने के कारण गाँवों की आधी से अधिक आबादी पलायन करने के लिए मजबूर हो गई। सरेनी विधानसभा का बड़ा मुद्दा नहरों में पानी का न आना, किंतु प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता ने इस क्षेत्र को बंजर बनने के लिए छोड़ दिया है।

सरेनी(Rae Bareli Assembly Seat) ग्रामसभा में ही लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं। आज भी किसी जनप्रतिनिधि के एजेंडे में क्षेत्र के पानी, शिक्षा, रोजगार की समस्या नहीं है। यूपीए सरकार ने लालगंज में रेल कोच फैक्ट्री लगवाई, जिससे लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगार मिला है। ऐसी ही कोई अन्य वस्तु उत्पादक फैक्ट्री भोजपुर या इसके आसपास क्षेत्र में लगने की आवश्यकता है। जिसका त्वरित लाभ रायबरेली जिले को ही नहीं, अपितु उन्नाव और फतेहपुर के लोगों को भी मिलेगा। सरेनी विधानसभा क्षेत्र के लालगंज से एक रेल लाइन निकली है जिसमें लंबी दूरी की एक ही रेलगाड़ी प्रयागराज और चंडीगढ़ के मध्य चलती है, जो प्रतिवर्ष कोहरा के नाम पर तीन से चार माह के लिए पूर्णतया बंद कर दी जाती है, अन्य स्थानों के लिए ट्रेन पकड़ने के लिए क्षेत्रीय लोगों को पहले बसों का सहारा लेना पड़ता है। इस ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

हरचंदपुर विधानसभा क्षेत्र (Rae Bareli Assembly Seat)


हरचंदपुर विधानसभा क्षेत्र– यह क्षेत्र भी कृषि प्रधान क्षेत्र है। अधिकांश क्षेत्रों में बलुई मिट्टी पाई जाती है। कभी यहाँ भी नहरें वर्ष भर खेती को हरा भरा रखती थी, अधिकांश भूमि सिंचित थी, किंतु लगभग दो दशकों से नहरों में धूल उड़ रही है। उन्नाव जनपद से निकलने वाली लोन नदी हरचंदपुर विधानसभा के दक्षिणी छोर को और हरदोई जिले से निकलने वाली सई नदी मध्य क्षेत्र को काफी हद तक सिंचित करती है। वर्तमान समय में सई नदी में पुल बन रहे हैं, जिससे आवागमन संबंधी दशकों पुरानी समस्या हल हो गयी है। हरचंदपुर के उत्तरी छोर में शारदा सहायक रजबहा वर्ष भर क्षेत्र को पानी देता है। धान की पैदावार अच्छी होती है। विधानसभा क्षेत्र की दक्षिण-पूर्वी भाग का अधिकांश भाग आज भी असिंचित है। सतांव क्षेत्र की तीखी मिर्च भारत में प्रसिद्ध है। यहाँ की हरी मिर्च की आपूर्ति भारत के कोने-कोने में होती है, इस मिर्च से बने लाज़वाब व्यंजनों का लुफ्त भारत के लोग उठाते हैं।

खीरों-हरचंदपुर क्षेत्र में मूंगफली के लिए भी प्रसिद्ध है। हरचंदपुर क्षेत्र या यूँ कहे, रायबरेली के आसपास के जिलों की रीढ़ मोदी मिल की स्थापना के बाद सैकड़ों लोगों को रोजगार मिल रहा था। इस मिल में निर्मित कालीन की आपूर्ति विदेशों तक होती थी। आपसी नेतागिरी, सरकार का ढुलमुल रवैया के कारण यह मिल पूर्णतः बंद हो गयी और लोग बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर हो गए। यदि इस क्षेत्र में पुनः सरकारी उपक्रम लग जाये तो हजारों लोगों को जीविका मिल जाएगी। हरचंदपुर विधानसभा में 3 राष्ट्रीय राजमार्ग और इसी क्षेत्र से निकली रेल लाइन भारत के लोगों को एक माला में पिरोते हुए सरल-सुगम और सस्ता यातायात हर समय उपलब्ध कराती है। इस क्षेत्र की विधानसभा सतांव थी, जिसे वर्ष 2008 में नए परिसीमन के तहत क्षेत्र का नाम बदलकर हरचंदपुर कर दिया गया है।

बेरोजगारी के कारण आज क्षेत्र के अधिकांश लोग पंजाब दिल्ली को पलायन कर गए हैं और वहाँ पर ईट भट्ठे पर कार्य करके अपने परिवार की जीविका चला रहे हैं। हरचंदपुर विधानसभा ने विभिन्न राजनीतिक दलों के विधायकों को विधानसभा भेजा कि हम आम जनमानस की समस्याएं दूर होंगी। अफसोस जनप्रतिनिधियों ने उद्योग धंधे फैक्ट्रियों को लगवाने या कृषि उपज बढ़ाने, नहरों में पानी, बीज-खाद की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए धरातल पर ध्यान नहीं दिया। इसलिए जनता दूसरे राज्यों में रोजगार के तलाश में रहती हैं। हरचंदपुर विधानसभा क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए श्री महावीर सिंह स्नातकोत्तर महाविद्यालय और इसी कॉलेज से जुड़े अन्य व्यावसायिक संस्थान नित नए प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं। वर्तमान विधायक ने काफी हद तक हरचंदपुर विधानसभा क्षेत्र की सुरक्षा और विकास का कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

अशोक कुमार गौतम
ग्राम/पोस्ट सरेनी
रायबरेली 9415951459

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