कृष्ण जन्माष्टमी पर दुर्गा शंकर वर्मा “दुर्गेश” की कविता

कृष्ण जन्माष्टमी पर कविता 
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कृष्ण की वंशी से,
जब बजी रागिनी।
राधा दौड़ी चली,
आई सुन रागिनी।
रोक पाई न खुद को,
जहां पर रही।
और कुछ देर तक सोचती ही रही।
उसके अंदर भी ऐसी,
बजी रागिनी। राधा..
रागिनी में न जाने ,
क्या जादू भरा।
मोह लेती सदा,
आसमां व धरा।
पेड़ पौधे भी झूमे हैं,
सुन रागिनी। राधा…
कृष्ण की रागिनी,
सबको प्यारी लगे।
रिश्ते में वह सदा,
सबकी यारी लगे।
लोग सुध-बुध क्यों,
खोते वह सुन रागिनी।राधा..
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दुर्गा शंकर वर्मा “दुर्गेश”

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