नूपुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई आज, पढ़िए क्या है एक्सपर्ट का कहना

पैगंबर मोहम्मद को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप में निलंबित बीजेपी की प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिस पर मंगलवार को सुनवाई होगी। अपनी अर्जी में नूपुर ने कहा है कि पिछली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की प्रतिकूल टिप्पणी के कारण उन्हें अराजक तत्वों से जान का खतरा बढ़ गया है। नूपुर चाहती हैं कि उनके खिलाफ विभिन्न राज्यों में दायर सभी केस दिल्ली ट्रांसफर किए जाएं। नई अर्जी पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ही सुनवाई करेगी, जिनकी टिप्पणियों पर बवाल मचा था।

नूपुर शर्मा को मिल सकती है राहत, पढ़िए क्या कह रहे एक्सपर्ट

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आज नूपुर शर्मा को बड़ी राहत मिल सकती है। इसके पीछे 1977 के एक केस का उदाहरण दिया जा रहा है। 1977 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस वीआर कृष्णा अय्यर ने राजस्थान के 27 वर्षीय व्यक्ति को दो पन्नों के आदेश में जमानत दी ती। तब जज के लिखे 12 शब्द भारत में आपराधिक न्यायशास्त्र में मील का पत्थर बन गए हैं। न्यायमूर्ति कृष्ण अय्यर ने कहा था, ‘मूल नियम को शायद जेल नहीं, बल्कि जमानत के रूप में रखा जा सकता है।’ यह तब से ‘जमानत, जेल नहीं’ के नियम के रूप में प्रचलित है।

पिछले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच ने 45 साल पहले के जस्टिस कृष्णा अय्यर के शब्दों को दोहराने की जरूरत महसूस की थी। पीठ ने कहा था कि गिरफ्तारी एक कठोर कदम है जिसके परिणामस्वरूप स्वतंत्रता में कमी आती है और इसे संयम से इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

पिछली सुनवाई के बाद मचा था हंगामा

नूपुर ने अपनी पिछली याचिका में अपने खिलाफ सभी मामलों को एक साथ एक स्थान पर स्थानांतरित करने की मांग की थी। उसने शीर्ष अदालत को बताया था कि उसकी जान को खतरा है। इसलिए कानून के मुताबिक सभी मामलों को एक साथ जोड़ देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी किसी भी दलील को स्वीकार नहीं किया और याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। इसके बाद नूपुर के वकील मनिदार सिंह ने याचिका वापस ले ली थी।

1 जुलाई को हुई सुनवाई में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी परदीवाला की बेंच ने नूपुर के खिलाफ भी तीखी टिप्पणी की थी। नूपुर के खिलाफ पीठ द्वारा की गई मौखिक टिप्पणियों पर देश में जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई थी। समाज के कई वर्गों में अदालत की टिप्पणियों पर सवाल उठाया गया था। लोगों ने साफ तौर पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट को सभी मामलों को एक जगह करने का निर्देश देने का अधिकार है, उसे इस पर फैसला करना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *