जिलाधिकारी ने टीबी से ग्रसित बच्चों को बांटी पोषण किट

Report- Upendra Sharma

जिलाधिकारी ने टीबी से ग्रसित बच्चों को बांटी पोषण किट

क्षय रोग ग्रसित बच्चों के खान-पान का विशेष ख्याल रखें परिजन : जिलाधिकारी

बुलंदशहर, 25 फरवरी 2022। जिलाधिकारी कार्यालय सभागार में शुक्रवार को जिलाधिकारी (डीएम) चन्द्र प्रकाश सिंह व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वीके सिंह ने टीबी रोग से ग्रसित 0-18 वर्ष तक के बच्चों को पोषण किट वितरित की। देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का केंद्र सरकार का संकल्प है। इसी को ध्यान में रखते बीते दिनों डीएम, सीडीओ व सीएमओ द्वारा 10 बच्चों को गोद लिया गया था।
क्षय रोग से पीड़ित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाये जाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से उचित उपचार के साथ साथ पोषाहार का वितरण समय समय पर किया जा रहा है। इसी क्रम में शुक्रवार को जिलाधिकारी कार्यालय सभागार में जिलाधिकारी: चन्द्र प्रकाश सिंह ने स्वयं एवं अन्य अधिकारियों द्वारा गोद लिए गए क्षय रोग से पीड़ित बच्चों को पोषाहार के पैकेट (बादाम, बिस्कुट, दलिया, चना, गुड़, गज्जक, बोर्नविटा एवं सेव) वितरित करते हुए उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। इस मौके पर जिलाधिकारी ने बच्चों के परिजनों से भी उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी हासिल की और कहा कि बच्चों को पोषक आहार खिलाते हुए उनका विशेष ख्याल रखें। जिलाधिकारी ने जिला क्षय रोग अधिकारी को निर्देशित किया कि जनपद के क्षय रोग से ग्रसित बच्चों को विभिन्न अधिकारियों द्वारा गोद लिए जाने पर उनके स्वास्थ्य का भौतिक सत्यापन भी किया जाए। साथ ही बच्चों को प्रत्येक माह पोषाहार का वितरण करते हुए बच्चों के स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग भी की जाए। 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वीके सिंह ने बताया बच्चों में टीबी के लक्षण जान पाना और इलाज करवाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। बच्चों में वयस्कों की तुलना में रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है। शाम के समय हल्का बुखार होना, कमजोरी होना, वजन कम होना टीबी के लक्षण हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने, खसरा होने, टाइफाइड होने एवं पौष्टिक आहार नहीं मिलने पर टीबी रोग जकड़ सकता है। दिमागी टीबी होने पर रोगी को बुखार, एक अंग का कम नहीं करने, बेहोशी छाने जैसे लक्षण पाये जाते हैं, जबकि फेफड़ों की टीबी होने पर रोगी में पसली चलने, तेज बुखार होने, सांस तेज चलने, तेज खांसी होने जैसे लक्षण होते हैं, जबकि गांठ वाली टीबी में गले, बगल में गांठ पड़ जाती है। इसमें दर्द होता है। ऐसी स्थिति में जांच अवश्य करानी चाहिए। जांच के उपरांत मरीज को नियमित दवा और परहेज से टीबी का इलाज संभव है, उपचार के साथ-साथ मरीज को खान—ान पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। 

खान-पान कैसा रखें

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. सीपीएस गौतम बताते हैं कि टीबी रोगी को पौष्टिक आहार दें, फास्ट फूड से परहेज करें। यदि परिवार में कोई सदस्य टीबी से ग्रसित है तो परिवार के सभी सदस्यों की जांच करा कर दवा लें। नियमित रूप से दवाओं का सेवन करें। सभी सरकारी अस्पतालों में बलगम की जांच एवं दवा निशुल्क उपलब्ध है।

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