बढ़ो युवाओं
उठो जवानों कदम बढ़ाओ,
आगे ही बढ़ते जाना है ।
आंधी या तूफान मिले फिर,
किंचिद भी ना घबराना है ।।
यौवन के साहस में ही तो,
संकल्प लक्ष्य भी दिखते हैं ।
यौवन की आंधी आती जब,
व्यवधान नहीं फिर टिकते हैं ।।
वीर शिवा, राणा प्रताप से,
देशभक्ति का पान करो ।
नई क्रांति की ज्वाला ले तुम,
नव युग का आगाज करो ।।
छाया अज्ञान का तम जब था,
ऋषि गौतम ने ज्ञान दिया ।
आजाद, भगत, सुभाष ने तो,
जग में ऊंचा नाम किया ।।
तुम ही कल हो इस भारत के,
छाई अंबर की लाली तुम।
राम, कृष्ण, अर्जुन तुम में,
इस धरती की हरियाली तुम ।।
पहचानो खुद को और बढ़ो,
दिनकर बन कर तुम चमको ।
अंधेरा पथ से दूर करो,
इधर उधर तुम मत भटको ।।
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लेखिका – सारिका अवस्थी
D/O – देवेन्द्र अवस्थी
पहाड़पुर, शिवगढ़ रायबरेली