गोल्डेन बर्ड पब्लिक स्कूल में आयोजित काव्य सम्मेलन में बही काव्य रस धारा श्रोता हुए मंत्रमुग्ध

रिपोर्ट – दिवाकर तिवारी (खीरो)

खीरों (रायबरेली)– वीर बैसवारा की धरती कलम और कृपाण के धनी सपूतों की धरती रही है। कलम के धनी कलमकारों ने साहित्य में अपना नाम कर दिया तो तलवार के धनी अमर सपूतों ने देश की आन, बान और शान में अपने प्राण बलिदान कर दिया। कवि सम्मेलन हमारी सांस्कृतिक और साहित्यिक परंपरा के अभिन्न अंग माने जाते हैं। ऐसे ही आयोजनों की कड़ी में विकास क्षेत्र के कस्बा खीरों के गोल्डेन बर्ड पब्लिक स्कूल में रविवार की शाम को कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें अनेक कवियों ने अपना कविता पाठ किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कवि श्यामलाल गुप्त व संचालन कवि नीरज पांडेय ने किया। स्कूल प्रबंधक सुधांशु शुक्ला ने सभी को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया।।

     कवि सम्मेलन का शुभारंभ कवियित्री कु० सविता ने सरस्वती  वंदना की  मां के चरणों की प्रथम रज मैं माथे धरती हूं स्वेत नीरज और हंस को भी नमन करती हूं। पंक्तियों से किया। कवि कुमार सुरेश ने “फूल जीवन में खिल ही जाएंगे, आप अपनों का दिल ही पाएंगे, कर्म भाई का भरत से सीखो, राम भी तुमको मिल ही जाएंगे” कविता प्रस्तुत कविता श्रोताओं द्वारा खूब सराही गई। हास्य के कवि उत्कर्ष उत्तम ने विभिन्न व्यंग प्रस्तुत किया। कु० सविता ने “दशानन के कुटिल कृत्यों सीता डर नहीं सकती, समर में लक्ष्मीबाई पैर पीछे धर नहीं सकती” कविता पढ़कर खूब तालियां बटोरी।कवि निर्मल प्रकाश श्रीवास्तव ने “जिसके कांटे न चुभे हो कभी भी पांव में, वह क्या जाने की चुभन किसको कहा जाता है” कविता पढ़कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। देर रात तक कवि सम्मेलन चलता रहा। इस कवि सम्मेलन में कवि रामकरन सिंह, डॉ देवी बक्श सिंह बैस, उदय बाजपेई, विनय भदौरिया, उत्तम सोनी सागर आदि कवियों ने अवनी कविताएं प्रस्तुत की। इस मौके पर व्यापार मंडल अध्यक्ष दुर्गा सिंह राठौर, पिंटू शर्मा एवं क्षेत्र के बड़ी संख्या में गणमान्य लोग मौजूद थे।

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