गरीबों का निवाला छीनकर प्रतिमाह लाखों के घोटाले पर जेबे किस किस की होती हैं गरम

  • 462 कुंतल राशन बाजार में बेचकर कोटेदार हो रहे हैं मालामाल, सलोन तहसील क्षेत्र के छतोह पर एक नजर

रिपोर्ट:- निशांत सिंह सलोन जनपद रायबरेली

रायबरेली। आखिरकार भ्रष्टाचार पर कब लगेगी लगाम, कब तक पिसता रहेगा गरीब, क्या ऊपर से नीचे तक सभी भ्रष्टाचार में लिप्त है, जी हां ऐसी चर्चाएं ग्रामीणों के मुंह से सुनने को मिलती हैं आवाज उठा नहीं सकते जो मिल रहा है उसे आंख बंद करके ले लो क्योंकि चारों और भ्रष्टाचार कायम है, शिकायत के बावजूद भी साहब कुछ नहीं होता है। अब इन्हीं चर्चाओं से निकलने वाली है खबर आपके भी होश उड़ा देगी। क्योंकि इस खबर में कहीं ना कहीं काफी हद तक सच्चाई जरूर है।

सलोन तहसील क्षेत्र के छतोंह में गरीबों का निवाला छीन कर कोटेदार से लेकर अधिकारी किस तरह मालामाल हो रहे हैं यह बात किसी से छिपी नहीं है क्षेत्र में सरकारी खाघान्य राशन की करीब 50 दुकाने है वहीं बीते वर्षों से अब तक लगातार राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार गरीब कार्ड धारकों को प्रति माह दो बार निशुल्क राशन मुहैया करा रही है क्षेत्र में ग्राम पंचायतो की संख्या कम और राशन की दुकानें ज्यादा है क्षेत्र के सभी ग्राम पंचायतों को मिलाकर पात्र गृहस्थी कार्ड 19737 है और अन्तोदय लाल कार्ड 3358 पात्र व अन्तोदय दोनो मिलाकर कुल 23089 कार्ड धारक है और दोनों कार्डों के लाभार्थी 95115 है लाभार्थियों को लगातार राशन तो मिल रहा है परन्तु दुकानदार प्रत्येक कार्डधारक को तौल में दो किलो राशन कम देता है.

वितरण दुकानदार कपूरपुर, नगर पंचायत नसीराबाद, बरखूदारपुर, तारापुर, सरायं, मेदापुर, काजीपुर तेलियानी, मठिया बैढौने, आलमपुर, बनी, चतुरपुर , रायपुर टोढी, भुवालपुर सिंसनी, बिन्नाव, आदि ग्राम पंचायतों के बितरण दुकानों की शिकायत हुई और जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति करते हुए शिकायत कूड़े दान में डाल दिया जाता है प्रत्येक कार्डधारको के घटतौली का राशन जोड़ा जाए तो 462 कुंतल राशन के पार रहा है जिसकी बाजार की कीमत ग्यारह लाख के करीब हो रही है। दो किलो घटतौली कर सरकारी दुकानदार मालामाल हो रहे है। सूत्रों की माने तो इस मोटी रकम में कर्मचारियों से लेकर अधिकारीयों का कमीशन तय है। हालांकि राज्य सरकार ने अब निशुल्क राशन देना बन्द कर दिया है और केन्द्र सरकार से मिलने वाला राशन अभी भी लाभार्थियों को नि:शुल्क मिल रहा है। एक कोटेदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हम लोगों की मजबूरी है.

कार्डधारकों को राशन कम देना क्योंकि हमारा कोई बेतन नहीं है हमें भी अपना घर परिवार चलाना है बच्चों को पढ़ाना लिखाना और बचाकर ऊपर बैठे घूसखोरो को भी देना पड़ता है। कोटेदार ने यह भी बताया कि सभी दुकानदारो से प्रत्येक बोरीयो पर अधिकारियों का सात रूपए कमीशन तय है, अब यह देखना है कि कोटेदारों का यह खेल चलता रहेगा या फिर गरीबों का निवाला छीनने वालो पर कोई कार्रवाई होगी।

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