आज की कविता | अभय प्रताप सिंह की कविता

१. तुम बदल जाओ बेशक ….

मैं तुमसे दूर था, सच बताऊं, बहुत दुःख हुआ,
पहले एहसास, फिर दर्द , फिर पछतावा हुआ।

खोने का तुमको ,तो कभी जिक्र ही न हुआ
तुम मुझसे दूर हो जाओगी, ऐसा फिक्र भी न हुआ।

अगर प्यार तुमसे सच्चा है ,तो, हुआ ही होगा,
फिर वो खत्म हो जाए, तो प्यार ही कहां हुआ।

कुछ महीनों की दूरी से ,अब क्या ही खत्म हुआ,
जीने का लहज़ा, तरीका, बस कुछ बदलाव हुआ।

गर कुछ दिन की दूरियों से ,प्यार खत्म हो जाए,
तो ये प्यार नहीं, बस रिश्ते का नाम बदनाम हुआ।

तुम बदल जाओ बेशक , मैं कभी नहीं रोकूंगा ,
ये अभय कल भी तुम्हारा था, है, आज भी हुआ।

२.ये वक्त ही बताता है

न बड़ा बनना , न दिखना चाहता हूं
जमीं पर हूं, बस वहीं रहना चाहता हूं

गुरुर , जलन , घमंड से कोसो दूर हूं मैं
प्यार देना , बस प्यार पाना चाहता हूं।

आप के जवाब में आप , तुम व तु नहीं
रहा साथ बड़ों का, तो मंजिल दूर नही।

मैं हूं न साथ तेरे, बस एक छोटा सा शब्द है
उम्मीद, उम्मीद होती है, ज़हर व श्राप नहीं।

वक्त , वक्त है , हर रोज कुछ सिखाता है
हर बुरे वक्त में, अपनो से परिचय कराता है।

थोड़ी सी मेहनत कर, मंजिल को पा ले
कोई न होगा साथ तेरे, ये वक्त ही बताता है।

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