स्कूल चेयरमैन के इन शब्दों को सुनकर बच्चे ने कर ली आत्महत्या, जानें आखिर क्या हुआ ऐसा

स्कूल को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है, वहां न कोई बच्चा अमीर होता है न ही कोई गरीब। एक गुरु  के लिए हर बच्चा सिर्फ उसका शिष्य होता है, जो वहां पढ़ने कुछ सिखने और शिक्षा ग्रहण करने आता है। लेकिन अगर इसी शिक्षा के मंदिर में बच्चों के कोमल मन पर प्रहार किया जाये तो ये मासूम बच्चे के साथ अन्याय है। ऐसा ही एक मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में चल रह रहा था।

इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक छात्र को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में एक स्कूल के अध्यक्ष और अनुशासनात्मक प्राधिकारी को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। अदालत महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में सिम्बोलिक इंटरनेशनल स्कूल के अध्यक्ष और अनुशासनात्मक प्राधिकारी गणपतराव पाटिल द्वारा दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पाटिल की पत्नी स्कूल की प्रिंसिपल हैं।

कोर्ट के मुताबिक, बड़े पदों पर बैठे लोगों ने बच्चे के कोमल दिमाग को चकनाचूर कर दिया और उसे एक गहरी निराशा में डाल दिया। बताया गया कि बच्चे को ‘असंसदीय शब्द’ नालायक, बेकार, झोपडपट्टी-छाप जैसे शब्द कहे गए। ऐसा फील कराया गया जैसे उसे जीने का कोई अधिकार नहीं है और वह दुनिया पर बोझ है। पाटिल ने मृतक बच्चे को यह कहा था।

 

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