वरिष्ठ कांग्रेसी नेता रामशंकर शुक्ला पंचतत्व में विलीन

बुधवार की शाम हृदय गति रुकने से हुआ आकस्मिक निधन

रायबरेली। शिवगढ़ क्षेत्र के अहलादगढ़ मजरे भवानीगढ़ के रहने वाले वरिष्ठ कांग्रेसी नेता रामशंकर शुक्ला के आकस्मिक निधन से समूचे शिवगढ़ क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। गौरतलब हो कि 67 वर्षीय राम शंकर शुक्ला को बुधवार की शाम करीब साढ़े 7 बजे दिल का दौरा पड़ने पर परिजनों द्वारा उन्हे आनन-फानन में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिवगढ़ ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उनकी हालत गम्भीर देखते हुए रेफर कर दिया। परिजन रामशंकर शुक्ला को निजी वाहन से राजधानी लखनऊ स्थित लॉरी लेकर पहुंचे जहां डॉक्टरों ने स्वास्थ्य परीक्षण के पश्चात रामशंकर शुक्ला को मृत घोषित कर दिया। जिनके निधन की खबर मिलते ही क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई।

रामशंकर शुक्ला का पार्थिव शरीर रात में ही पैतृक गांव आह्लादगढ़ लाया गया, जिनका बृहस्पतिवार को गांव में ही अंतिम संस्कार किया गया। जिनकी अंतिम दर्शन यात्रा में उनके राजनीतिक गुरु श्याम किशोर शुक्ला, कांग्रेस के कार्यवाहक रायबरेली जिला अध्यक्ष पंकज तिवारी, जिला महामंत्री अजीत सिंह, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी सदस्य पराग प्रसाद रावत, ब्लॉक प्रभारी कृपाशंकर शुक्ला, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गणेश शंकर मिश्रा, शिवगढ़ ब्लॉक अध्यक्ष एडवोकेट गौरव मिश्रा, बृजेंद्र द्विवेदी, दिनेश यादव, रामकिशोर मौर्य, अशोक यादव, हरिशंकर तिवारी,

दिवंगत राम शंकर शुक्ला की फाइल फोटो

पूर्व प्रधान जालिपा प्रसाद शुक्ला, अखिलेश शुक्ला, प्रधान भवानीगढ़ प्रतिनिधि छोटू प्रजापति सहित भारी संख्या में जनसैलाब उमड़ पड़ा। ब्लॉक अध्यक्ष गौरव मिश्रा ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि दादा रामशंकर शुक्ला के निधन से शिवगढ़ ब्लॉक कांग्रेस कमेटी की अपूर्णनीय क्षति हुई है जिसकी कभी भरपाई नहीं की जा सकती। राम शंकर शुक्ला के निधन से उनके बेटे अनूप शुक्ला, अनुपम शुक्ला,पुत्री सीमा का रो-रोकर बुरा हाल है।

आजीवन कांग्रेस में रहे रामशंकर शुक्ला

रामशंकर शुक्ला ने लखनऊ विश्वविद्यालय में एलएलबी करते समय कांग्रेस पार्टी के पूर्व विधायक श्याम किशोर शुक्ला से प्रेरणा लेकर कांग्रेस पार्टी के छात्र नेता के रूप में अपने राजनीति जीवन की शुरुआत की थी, रामशंकर शुक्ला आजीवन कांग्रेस में रहे। विपक्षी पार्टियों की सरकारें आती रही, सरकारें जाती रही,आफर मिलते रहे किंतु उन्होंने कभी पार्टी का दामन नहीं छोड़ा। कभी पार्टी के साथ गद्दारी नहीं की। हमेशा खुश मिजाज रहने वाले रामशंकर शुक्ला इस दुनिया को छोड़ कर हमेशा-हमेशा के लिए चले गए। उनकी कर्तव्यनिष्ठता एवं निश्छल और निष्कपट राजनीति लोगों के लिए प्रेरणा का काम करेगी।

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