जनपद में 20 फरवरी से चलेगा टीबी रोगी खोज अभियान

  • जनपद की 20 प्रतिशत आबादी को कवर किया जाएगा एसीएफ में अभियान
  • अभियान की तैयारियों में जुटा टीबी विभाग

बुलंदशहर, 15 फरवरी 2023। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जनपद में 20 फरवरी से एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान शुरू किया जाएगा। अभियान पांच मार्च तक चलेगा। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. हेमंत रस्तोगी ने बताया- महानिदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, उ.प्र.) की ओर से अभियान के लिए दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं।

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया- एक्टिव केस फाइंडिंग (एसीएफ) अभियान में 20 प्रतिशत जनसंख्या की लक्षणों के आधार पर घर-घर जाकर स्क्रीनिंग की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी घर-घर जाकर टीबी के साथ शुगर, एचआईवी के मरीजों की भी तलाश करेंगे। इसके लिए विभाग ने माइक्रो प्लान तैयार कर लिया है। वहीं जनपद के अनाथालय वृद्धाश्रम, नारी निकेतन, बाल संरक्षण गृह, मदरसा, नवोदय विद्य़ालय, कारागार, चिन्हित समूह-स्थल सब्जी मंडी, फल मंडी, लेबर मार्केट, निर्माणाधीन प्रोजेक्ट, ईंट भट्ठों, स्टोन क्रेशर, खदान, साप्ताहिक बाजार आदि में भी अभियान चलाया जाएगा। एसीएफ अभियान के तहत खोजे गये संभावित क्षय रोगियों का जिला क्षय रोग अधिकारी पर्यवेक्षण- समीक्षा एवं मूल्यांकन करेंगे।

 

उन्होंने बताया- एसीएफ में मिलने वाले मरीजों का ब्योरा पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। टीबी मरीजों की जल्दी पहचान होने से जल्दी उपचार शुरू हो जाता है। इससे रोगी की रिकवरी जल्दी हो जाती है, साथ ही उसके संपर्क में आने वाले लोग संक्रमण से बच जाते हैं। मरीज के खांसने और छींकने से निकलने वाली बूंदों के सम्पर्क में आने से पल्मोनरी (फेफड़ों की) टीबी फैलती है। उपचार शुरू होने के बाद संक्रमण फैलने की आशंका काफी कम हो जाती है। आमतौर पर एक टीबी मरीज उपचार न होने की स्थिति में साल भर में 10-15 लोगों को संक्रमित कर देता है। इसलिए बहुत जरूरी है कि टीबी के साधारण लक्षण नजर आते ही तुरंत जांच करायी जाए। टीबी के संभावित मरीजों को मास्क जरूर लगाना चाहिए, ताकि संक्रमण को रोका जा सके।

 

डा. रस्तोगी ने बताया 15 दिन से ज्यादा खांसी रहने पर जांच जरूर कराएं। इसके अलावा भूख न लगना, वजन कम होना, थकान रहना, बलगम के साथ खून आना, सीने में दर्द और रात में सोते समय पसीना आना भी टीबी के लक्षण हो सकते हैं।

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