गुलाब की खेती करने वाले प्रगतिशील कृषक रामपाल किसानों के लिए बने प्रेरणा स्रोत

  • गुलाब की खेती में ग्राफ्टिंग के जादूगर हैं रामपाल
  • सन 1969 से गुलाब की खेती करते चले आ रहे हैं प्रगतिशील कृषक रामपाल

शिवगढ़,रायबरेली। सन 1969 से गुलाब के फूल की विभिन्न प्रजातियों की खेती करते चले आ रहे शिवगढ़ क्षेत्र के रीवां गांव के रहने वाले प्रगतिशील कृषक रामपाल किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं। जिसके लिए उन्हें कई बार रेडियो चैनलों और टीवी चैनलों पर आयोजित कृषि चौपालों के माध्यम से किसानों को जागरूक करने का मौका भी मिल चुका है। महेज कक्षा 5 तक की पढ़ाई करने वाले प्रगतिशील कृषक रामपाल ने बताया कि सन 1969 से वे गुलाब की खेती करते चले आ रहे हैं।

पिछले 8 वर्षों से वह अपने गांव में साढ़े 4 बीघे में लुसियाना, जोनफ कनेड़ी, गार्डन पार्टी, फर्स्ट प्राइज, अमेरिकन हेरिटेज, क्रिश्चियन बेर, पिंक परफेक्ट, मिस्टर लिंकन, पूसा अरेन, पूसा मुस्कान, पूजा अजय,गोलेट, परफेक्ट एशियादिल्ली, प्रिन्सिस, बंजारन, करिश्मा, चन्द्रमा, चित्तचोर, दीपिका, कविता, जन्तार्मंतर, सदाबहार, लहर, सूर्यकिरण, समर, बहिश्त, आइसबर्ग, शबनम, फ्लोरीबंडा सहित 350 से अधिक गुलाब के फूल की प्रजातियां लगा रखी हैं। जिनके पास लाल, पिंक, सफेद, पीला, नारंगी, मखमली, काला सहित करीब एक दर्जन रंग के गुलाब मौजूद हैं। रामपाल ने बताया कि इससे पहले वे राजधानी दिल्ली में लीच पर खेती लेकर गुलाब की खेती करते थे।

जिसकी बदौलत उन्होंने दिल्ली में अपना निजी तीन मंजिला मकान बनाने के साथ ही गांव में जमीन खरीदी। उन्होंने बताया कि देशी गुलाब की टहनियों को लगाकर उन पर हाइब्रिड, चलानी गुलाबो की आंख लगाकर ग्राफ्टिंग करके पौधे तैयार करते हैं। तैयार किए गए पौधों को अपने खेत में लगाने के साथ ही दिल्ली, बैंगलोर, नोएडा सहित शहरों को पौधे और गुलाब के फूलों को भेजते हैं। जिनका मानना है कि देशी गुलाब की खेती करने में लाभ नहीं है देशी गुलाब के फूल की बिक्री किलो के हिसाब से होती है और हाइब्रिड एवं चलानी गुलाबों की बिक्री प्रति पीस के हिसाब से होती हैं। इसीलिए उन्होंने 350 से अधिक हाइब्रिड गुलाबों की किस्में लगा रखी है, जिससे उन्हें अच्छा लाभ मिला है। गुलाब की उन्नतशील खेती के लिए उन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है।

अभी तक लोकल मीडिया की पहुंच से दूर रहे रामपाल को क्षेत्र के लोग रोज मैन के नाम से जानते हैं। जिनका दावा है कि पौधों की पत्तियों को देखकर उसमें लगने वाले गुलाब के कलर को बता देते हैं। देशी गुलाब की टहनियों को लगाकर उन पर विभिन्न रंगों के हाइब्रिड,चलानी गुलाबों की आंख फिट करके शत- प्रतिशत हाइब्रिड पौधे तैयार करने की उनकी जो अद्भुत कला है, उसके सभी कायल हैं।

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