जहांगीरपुरी मामला: यथास्थिति बनी रहेगी, दो सप्ताह बाद फिर होगी सुनवाई – सुप्रीम कोर्ट

जहांगीरपुरी में बुलडोजर पर एक्शन के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वकील दुष्‍यंत दवे और कपिल सिब्बल ने तुरंत अतिक्रमण पर रोक लगाने की मांग की, जबकि एमसीडी की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इससे पहले भी कार्रवाई की गई है, जिसमें हिंदू और मुस्लिम दोनों प्रभावित हुए हैं। सभी का पक्ष जानने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जहांगीरपुरी में बुलडोजर पर रोक लगाते हुए यथास्थिति को बनाए रखने और दो सप्ताह के बाद फिर से इस मामले पर सुनवाई करने का आदेश जारी किया है।

एक खास समुदाय को निशाना बनाया जा रहा

याचिकाकर्ता की तरफ से वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि यह राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा कैसे है। दवे ने कहा कि पहले फेक एनकाउंटर किया गया, अब बुलडोज़र चलाया जा रहा है, एक खास समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। बीजेपी अध्यक्ष के कहने पर इस तरह कार्यवाही शुरू की गई।

उन्होंने कहा, ”दिल्ली पुलिस ने VHP के खिलाफ जैसे FIR दर्ज की, उसके बाद यह बुल्डोजर चलाने की बात सामने आई। बुलडोज़र चलाने से पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया। कोर्ट के आदेश के बाद भी बुलडोज़र चलाना जारी रखा। सुप्रीम कोर्ट को मामले को गंभीरता से लेना होगा, वरना देश में संविधान नहीं बचेगा।”

दवे ने कहा कि दिल्ली में 1731 अवैध कॉलोनी है, लेकिन सिर्फ एक कॉलोनी को चुना गया, क्योंकि आप खास समुदाय को टारगेट करना चाहते हैं। जहांगीरपुरी इलाके में ज़्यादातर घर 30 साल और दुकाने 50 साल पुरानी है, हम डेमोक्रेसी में रह है, इस तरह की कार्यवाही की कैसे इज्ज़त दी जा सकती है। पुलिस और ऑथरिटी संविधान से बंधी हुई है, किसी पार्टी से नहीं बंधी हुई हैं।

उन्होंने कहा जीने के अधिकार में ही शेल्टर का अधिकार निहित है, MCD ऐसी कार्रवाई सैनिक फार्म और गोल्फ लिंक जैसी पॉश कॉलोनियों में क्यों नहीं करते, जहां हर दूसरा घर अतिक्रमण है।

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