RaeBareli Assembly Constituency : किसी जनपद की आत्मा उसकी सदर क्षेत्र में बसती है
RaeBareli Assembly Constituency : किसी जनपद की आत्मा उसकी सदर क्षेत्र में बसती है
विधानसभाओं के वर्णनात्मक क्रम में प्रस्तुत है सदर और बछरावां विधानसभा का वर्णन-
सदर विधानसभा
(RaeBareli Assembly Constituency)
सदर विधानसभा किसी भी जनपद की आत्मा उसके सदर क्षेत्र में बसती है। शासन और प्रशासन से संबंधित सभी प्रधान कार्यालय सदर या जिला मुख्यालय में ही होते हैं। 180 सदर विधानसभा रायबरेली में स्वाधीनता संग्राम की पहली चिंगारी की आग 7 जनवरी सन 1921 को मुंशीगंज के किसान आंदोलन के रूप में भड़की थी। जिसमें अंग्रेजों ने निहत्थे सैकड़ों किसानों के सीना गोलियों से छलनी कर दिया था। अंग्रेजों के इस खूनी खेल में सई नदी का पानी लाल हो गया था। शहीदों की याद में बनाया गया शहीद स्मारक और भारत माता का मंदिर आज बदहाली के आँसू बहा रहा है। झूला, मूर्तियां दरवाजे आदि अराजक तत्वों द्वारा तोड़ दिए गए हैं। किसी भी अराजक तत्व पर न कार्यवाही हुई, न सुरक्षा की ही समुचित व्यवस्था की गई। जनप्रतिनिधियों और सक्षम अधिकारियों ने मुंह मोड़ कर इस भव्य पवित्र स्मारक स्थल को उसके बदहाल अवस्था में छोड़ दिया है। शायद ही इस स्मारक के दिन बहुरेंगे? सदर विधानसभा क्षेत्र में सई नदी के तट पर इंदिरा गांधी वानस्पतिक उद्यान और बेहटा पुल आदि पूर्व प्रधानमंत्री स्व० श्रीमती इंदिरा गांधी ने बनवाया था, जिसे न ही उनके वंशजों ने संभालने का प्रयास किया, न किसी अन्य सरकार ने?
ऊँचाहार स्थित एनटीपीसी को अनवरत जलापूर्ति के लिए इंदिरा गांधी ने सई नदी के ऊपर शारदा सहायक नहर निकालने के लिए पुल और आवागमन के लिए पुल के दाएं बाएं सड़क बनवा दी थी। नदी पर नहर निकालने का मनोरम प्राकृतिक दृश्य भारत में बहुत ही कम देखने को मिलता है। इस शारदा नहर से निकली अनेक अलपिकाओं का जाल बिछा है, जिससे पैदावार बढिया होती है। लखनऊ-प्रयागराज राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी सई नदी का पुल अत्यंत जर्जर अवस्था में है। सड़क मार्ग का यह पुल अचानक धराशायी हो गया तो, आवागमन कुछ हद तक तो बेहटा पुल होकर होगा। दूसरा कोई मार्ग नहीं है। इसलिए समय रहते तत्काल सई नदी पर दूसरा पुल बनाया जाना अति आवश्यक है। रायबरेली का सदर विधानसभा क्षेत्र फैक्ट्रियों का हब रहा है, किंतु अब लगभग सब बदहाल और बंद हो गए हैं। भारत में शुमार सन 1973 में स्थापित भारतीय टेलीफोन इंडस्ट्रीज द्वारा निर्मित माल की आपूर्ति विदेशों में होती थी। सरकार में इच्छाशक्ति की कमी और कर्मचारियों व अधिकारियों की आपसी खींचतान में लगभग फैक्ट्री बंद हो गई है।
सन 1973 में स्थापित दरियापुर चीनी मिल में लगभग 15,000 क्विंटल गन्ना प्रतिदिन की पेरने की क्षमता थी, किंतु समय के साथ बंद हो गयी। केंद्र में सत्तासीन कॉंग्रेस सरकार ने इसी स्थान पर आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैडिकल साइंसेज AIMS की स्थापना किया जो अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।
वर्ष 1975 में स्थापित यूपी स्टेट स्पिनिंग कम्पनी को वर्ष 2012 में बंद करने के साथ कर्मचारियों को वी.आर.यस घोषणा कर दी गई, जिससे कर्मचारी हैरान रह गए। वर्ष 2005 में रायबरेली में शीना होमटेक प्राइवेट लिमिटेड नाम से दरी बनाने का कारखाना खोला गया, जिसमें महिलाओं द्वारा निर्मित दरियों को विदेशों में निर्यात किया जाता था, किंतु वो भी बंद हो गयी।
भवानी पेपर मिल, बिरला सीमेंट फैक्ट्री, शीना फैक्ट्री आदि बंद हो गयी हैं। इंडस्ट्रियों के नाम पर रायबरेली सदर उजड़ा चमन हो गया है। मालविका सीमेन्ट फैक्ट्री, हरिओम राइस मिल, पराग दूध डेयरी और कुछ प्लाई फैक्ट्री जीविका का साधन बनी हुई हैं।
इंदिरा गाँधी राजकीय महिला महाविद्यालय, फ़ीरोज़ गाँधी महाविद्यालय और कई राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज प्रमुख हैं जो सुगम और उत्तम शिक्षा देने के लिए वचनबद्ध हैं, किंतु शिक्षकों और मूलभूत सुविधाओं का टोटा है। सदर क्षेत्र में रोजगार की दिनों-दिन कमी होती जा रही है, कई सरकारें बनी-बिगड़ी। समस्या बिगड़ती चली गयी। स्व० अखिलेश सिंह (पूर्व विधायक) को गरीबों/किसानों का मसीहा कहा जाता है। वो आँख बंद करके जनता के प्रति तन मन धन से समर्पित रहते थे।
बछरावां विधानसभा क्षेत्र
(RaeBareli Assembly Constituency)
बछरावां विधानसभा क्षेत्र– रायबरेली का बछरावां विधानसभा क्षेत्र भौगोलिक और राजनीतिक दृष्टि से अपना अलग ही स्थान रखता है। बछरावां विधानसभा का पहला आम चुनाव सन 1957 में हुआ था। यह विधानसभा 4 जनपदों उन्नाव, बाराबंकी, अमेठी और लखनऊ की सीमाओं से स्पर्श करती है। बछरावां स्वयं नगर पंचायत है। फिर विकास की स्थिति दयनीय है। भारतीय संवैधानिक व्यवस्था के तहत रायबरेली के विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। इस क्षेत्र को कृषि प्रधान कहा जा सकता है क्योंकि इस विधानसभा के दक्षिण में राजामऊ रजबहा तथा उत्तर में शारदा नहर और इनसे निकली अनेक छोटी बड़ी अल्पिकाएं वर्ष भर खेतों और जलाशयों को सिंचित रखती हैं। धान की प्रमुख फसल है। बछरावां विधानसभा को रायबरेली का धान का कटोरा कहा जाय तो कोई अतिशयोक्ति न हकवी। साथ ही गंदा मैथिली की पैदावार भी अधिक मात्रा में होती है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व० चंद्रिका प्रसाद की जन्म और कर्म स्थली भी है और इस बछरावां विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी रह चुके हैं।
राजधानी लखनऊ से जुड़ा होने के कारण इस क्षेत्र आर्थिक और सामाजिक स्तर बहुत ऊपर होना चाहिए था किंतु मूलभूत सुविधाओं का ही अभाव है। सन 1973 में स्थापित बगाही सिरोही शुगर मिल सैकड़ों लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिला था, किंतु सरकारों की उदासीनता कहा जाय या समय की मार, यह फैक्ट्री बंद हो गई। बगाही के लोग आज भी अत्यंत निम्न स्तर का जीवन यापन करते हैं। इस पूरे क्षेत्र में रोजगार की कमी है, क्योंकि विभिन्न सरकारों ने नई कंपनियां स्थापित करने पर कोई जोर नहीं दिया। सिर्फ कागजों पर वाहवाही लूटते रहे। विशाखा मिल, रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी फैक्ट्रियां महराजगंज और शिवगढ़ में स्थापित होनी चाहिए, जिससे गरीब जनता का पलायन रुक सके। इनडोर स्टेडियम चला दो आदि प्रमुख ।
बस और रेलगाड़ी से यातायात की सुगमता हर समय उपलब्ध है, किंतु महराजगंज क्षेत्र आज भी रेल यातायात से अछूता है। कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय रामपुर और कुटी रघुनाथपुर में है, इससे शिक्षा का स्तर कुछ सुधरा है इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा का प्रमुख केंद्र दयानंद स्नातकोत्तर महाविद्यालय बछरावां है, जिसमें अनेक पाठ्यक्रम चलते हैं। कुछ संपन्न परिवार के लड़कियां/लडक़े लखनऊ पास पड़ने का कारण चले जाते हैं। इसी विधानसभा में शिवगढ़ का महेश विलास पैलेस सिर्फ बछरावां में नहीं पूरे भारत में चर्चित हो चुका है, क्योंकि यहाँ पर कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। रायबरेली का शिवगढ़ क्षेत्र फिल्मसिटी का हब बनता जा रहा है। इस विधानसभा में शिवगढ़ में ही केंद्रीय विद्यालय स्थापित किया गया है, जिसमें गरीब बच्चे पढ़ सकते हैं। विधानसभा में रोजगार के अवसर न के बराबर हैं। अधिकतर लोग दूसरे जिलों, या दूसरे प्रांतों में मेहनत मजदूरी कर के जीविका चला रहे हैं। विभिन्न सरकारों द्वारा बछरावां विधानसभा क्षेत्र के विकास के प्रति जरा भी ध्यान दिया गया होता, जिस प्रकार भारत की राजधानी दिल्ली से सटा नोयडा, गुड़गांव इंडस्ट्रीज का हब बन गया है, उसी प्रकार प्रदेश की राजधानी लखनऊ से जुड़ा बछरावां भी इंडस्ट्रियल हब बन गया होता।
अशोक कुमार गौतम
ग्राम/पोस्ट सरेनी
रायबरेली 9415951459