पोषण पाठशाला कल, मिलेगी पोषण पर शिक्षा
रिपोर्ट – उपेंद्र शर्मा
- पोषण पाठशाला में विषय विशेषज्ञ शीघ्र स्तनपान, केवल स्तनपान की आवश्यकता, महत्व व उपयोगिता पर विस्तार से करेंगे चर्चा
बुलंदशहर, 24 मई 2022। बुलंदशहर समेत प्रदेश के सभी 75 जनपदों में 26 मई को पोषण पाठशाला का आयोजन किया जाएगा। पाठशाला अपराह्न 12 बजे से दोपहर 2 बजे तक चलेगी। इस पाठशाला में जिला कार्यक्रम अधिकारी, बाल विकास परियोजना अधिकारी, मुख्य सेविका, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के लाभार्थी, गर्भवती महिलाएं और धात्री माताएं प्रतिभागी होंगी। डा. आरएमएल आईएमएस (लोहिया अस्पताल) लखनऊ में सामुदायिक चिकित्सा विभाग में कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर डा. मनीष कुमार सिंह, वीरांगना अवंतीबाई महिला अस्पताल (डफरिन) लखनऊ के वरिष्ठ सलाहकार बाल रोग डा. मो. सलमान खान, आईएचएटी-यूपीटीएसयू लखनऊ की निदेशक डा. रेनू श्रीवास्तव विशेषज्ञ के तौर पर पाठशाला में पोषण का पाठ पढाएंगी।
जिला कार्यक्रम अधिकारी दीप्ति त्रिपाठी ने बताया कि 26 मई को अपराह्न 12 से दोपहर दो बजे तक पोषण पाठशाला एनआईसी के माध्यम से वीडियो कांफ्रेंसिंग से होगी। इस कार्यक्रम की मुख्य थीम शीघ्र स्तनपान केवल स्तनपान है। पोषण पाठशाला में अधिकारियों के अतिरिक्त विषय विशेषज्ञ शीघ्र स्तनपान केवल स्तनपान की आवश्यकता महत्व, उपयोगिता आदि पर हिन्दी में चर्चा करेंगे। कॉन्फ्रेसिंग के जरिए लाभार्थियों व अन्य के प्रश्नों का उत्तर भी मिलेगा। यह कार्यक्रम वेब लिंक https://webcast.gov.in/up/icds पर लाइव वेब-कॉस्ट भी होगा। इस लिंक से कोई भी कार्यक्रम से सीधे जुड़ सकता है।
जन्म के एक घंटे के अंदर नवजात को स्तनपान की दर मात्र 23.9 प्रतिशत
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण–5 (एनएफएचएस-5)) के अनुसार उत्तर प्रदेश में शीघ्र स्तनपान (जन्म के एक घंटे के अंदर नवजात शिशु को स्तनपान ) की दर 23.9 प्रतिशत है और छह माह तक के शिशुओं में केवल स्तनपान की दर 59.7 प्रतिशत है। शिशुओं में शीघ्र स्तनपान व केवल स्तनपान उनके जीवन की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है, परंतु ज्ञान के अभाव और समाज में प्रचलित विभिन्न मान्यताओं व मिथकों के कारण यह संभव नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा यह व्यवहार शिशु स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध होता है। इसके लिए माह मई व जून में प्रदेश में पानी नहीं, केवल स्तनपान अभियान चलाया जा रहा है।
जन्म के एक घंटे के अंदर शिशु को स्तनपान जरूरी
त्रिपाठी का कहना है माँ का दूध शिशु के लिए अमृत के समान है। शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी लाने के लिए यह आवश्यक है कि जन्म के एक घंटे के अंदर शिशु को स्तनपान प्रारम्भ करा देना चाहिए व छह माह की आयु तक उसे केवल स्तनपान कराना चाहिए। लेकिन समाज में प्रचलित विभिन्न मान्यताओं व मिथकों के कारण केवल स्तनपान सुनिश्चित नहीं हो पाता है।
मॉ एवं परिवार को लगता है कि स्तनपान शिशु के लिए पर्याप्त नहीं है और वह शिशु को अन्य चीचें जैसे- घुट्टी, शर्बत, शहद, पानी पिला देती हैं। स्तनपान से ही शिशु की पानी की भी आवश्यकता पूरी हो जाती है। इसलिए शीघ्र स्तनपान केवल स्तनपान की अवधारणा को जन जन तक पहुंचाना है।
उन्होंने कहा लोगों का ऐसा सोचना कि वयस्कों की तरह शिशु को भी पानी की आवश्यकता होगी। उसे पानी देने का प्रचलन बढ़ जाता है और शिशुओं में केवल स्तनपान सुनिश्चित नहीं हो पाता है। साथ ही शिशु में दूषित पानी के सेवन से संक्रमण से दस्त आदि होने की भी संभावना बढ़ जाती है।