Govardhan pooja 2022 : जानें गोवर्धन पूजा का महत्व,शुभ मुहूर्त और पौराणिक मान्यता
गोवर्धन पूजा कब मनाते है
- गोवर्धन पूजा कार्तिक मास की अमावस्या को ठीक दूसरे दिन मनाते हैं और उसी दिन चिरैया गौर की पूजा मनाते हैं क्यों मनाते हैं यह पूजा कहा जाता है जब भगवान श्री हरी श्री कृष्ण के रूप में धरती पर अवतार लिया था तो एक बार मां यशोदा अन्नकूट की पूजा करने के लिए भारती मां के पकवान बना रहे थी तब श्री कृष्ण ने मां यशोदा से पूछा कि मैया का पकवान क्यों बना रहे तब माता ने लल्ला से बताएं कि लल्ला आज इंद्रदेव और अन्नकूट माता की पूजा है इसलिए यह पकवान बनाकर अभी हम सब नगरवासी पूजा करेंगे तब भगवान श्री कृष्ण बोले कि मैया पूजा करनी है तो गौ माता की करो जो हमें दूध दही घी गोबर आदि देती है.
- यह सुनकर को बहुत क्रोध आया और उन्होंने प्रलय की बरसात कर दी और इतनी वर्षा की कि 7 दिनों तक वर्षा रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे तब भगवान श्रीकृष्ण ने सभी नगर वासियों को एक पर्वत पर लेकर गए और अपनी सबसे छोटी उंगली पर गोवर्धन को उठा लिया और सभी नगरवासी भगवान श्री कृष्ण को कोसने लगे कि यह सब पर श्री कृष्ण के कारण ही हो रही है तब भगवान श्रीकृष्ण गया बस रात को उनके नीचे बिठाकर उनकी रक्षा की और अपने सुदर्शन चक्र से कहा कि सुदर्शन पर्वत के ऊपर जाकर वर्षा की गति को रोकने का प्रयास करो और शेषनाग से कहा कि तुम चारों तरफ से जाकर मेड बांधकर पानी के बहाव को रोको इस तरह से उन्होंने अपनी प्रजा की रक्षा की इस तरह से 7 दिन तक वर्षा होने के पश्चात भी किसी को कोई हानि नहीं तब इंद्रदेव ने सोचा कि कोई साधारण मानव नहीं हो सकता।
इंद्रदेव ने अपनी गलती की क्षमा मांगी
- इस बात की जानकारी करने के लिए इंद्रदेव ब्रह्मदेव के पास गए और बोले कि है ब्रह्मदेव इसका रहस्य में बताइए कि यह कौन है तब ब्रह्मदेव ने बताया कि स्वयं श्री नारायण विष्णु का अवतार है तब इंद्रदेव ने अपनी गलती की क्षमा मांगी और वह अपने स्थान को वापस चले गए।
चिरैया कैसे बनाते हैं और कैसे करें गोवर्धन पूजा ?
चिड़ियाघर में सबसे पहले सुबह उठकर अपने घर के आंगन को गाय के गोबर से लेते हैं फिर उसमें गोबर से चौक बनाते हैं चौक के अंदर सूर्य चंद्रमा गंगा यमुना ढोलक मंजीरा बिल्ली पहरेदार चावल के आटे की चिरैया बनाकर उसे पानी में उबालकर ठंडा होने पर भी दूध दही अगरबत्ती मिठाई करुआ तेल के दीपक आदि से उसकी पूजा करके फिर से खाते हैं. और कहानी कथा आदि कहते फिर उसके बछड़े की पूजा करके उन्हें अच्छा अच्छा भोजन बनाते हैं और गाय बछड़ा को खिलाते और धोबी को खाना खिलाया जाता है इसे सुहागिन स्त्री और स्त्री के संतान होती। वहीं इस त्यौहार को इस व्रत को त्यौहार की तरह बनाती है इसे सभी लोग अलग-अलग और भाति भाति रूप से इसकी पूजा करते और जो गोबर से प्रतिमा बनाई जाती है. उसे शाम को बिगाड़ कर एक बना लेते हैं और उसमें 12 दिन तक दीपक जलाते तत्पश्चात उस अपने खेत के उत्तर दिशा के कोने में रख कहा जाता है कि जिस खेत में गोवर्धन का रखा जाता है खेत में मां अन्नपूर्णा की महिमा हमेशा बनी रहती और अधिक पैदावार होता है.