सैकड़ो वर्ष पुरानी इस सत्यनामी कुटी में है श्रद्धालुओं की अटूट आस्था

  • सच्चे मन से कुटी में आने पर पूरी होती हैं मनोकामनाएं

अंगद राही /शिवगढ़,रायबरेली। क्षेत्र के मेहरबान खेड़ा मजरे गूढ़ा स्थित सैकड़ों वर्ष पुरानी साहब ठाकुर दास जी महराज की सत्यनामी पावन तपोस्थली श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केन्द्र बनी हुई है। जहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर कुटी में माथा टेककर मनोकामनाएं मांगते हैं। वर्तमान गद्दीधर साहब तेज किशुनदास जी महराज को अपना अराध्यगुरु मानकर उनसे राम-राम सुनकर सत्यतमार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं। जहां हर साल माघ मास की सप्तमी को जगजीवन दास साहब का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

 

क्या है मान्यता

साहब ठाकुर दास जी महराज की पावन कुटी के छठवे गद्दीधर बाल ब्रह्मचारी तेज किशुनदास जी महराज बताते हैं कि करीब 200 वर्ष पूर्व पाटमऊ जनपद बाराबंकी के रहने वाले बाल ब्रह्मचारी साहब ठाकुर दास जी महराज अपने शिष्य रेवती दास, सेवक आत्मादास के साथ गूढ़ा एक शादी समारोह में आए थे। शादी समारोह में जनातियों और बारातियों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई थी की खाना तो छोड़ दीजिए नाश्ता तक कम पड़ गया था। कन्या के पिता ने जब अपनी व्यथा जब ठाकुर दास जी महराज से बताई तो वे भण्डार गृह में गये और सभी व्यंजनों पर चादर ढकवा दी। जिसके बाद भोजन परोसने वाले चादर के नीचे से भोजन निकाल कर परोसते रहे अन्ततः सभी को भरपेट भोजन कराने के बाद भी व्यंजन वैसे के वैसे रखे रहे। अपनी आंखों से यह आश्चर्य देख एक जमींदार ने उनसे अपने घर की व्यथा बताई, जिनके आशीर्वाद से उनके सारे संकट दूर हो गए। जिसके बाद जमींदार ने प्रसन्न होकर कुटी के लिए 12 बीघे जमीन दी और कुटी बनाने का आग्रह किया।

स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है यह कुटी

लखौरी ईंट से बनी इस गुंबदनुमा तपोस्थली को बनाने में 12 वर्ष का समय लगा था, जिसकी नीव 15 फुट गहरी बताई जा रही है। जिसके पास ही बनी 2 अन्य तपोस्थली जीर्ण शीर्ण हो चुकी हैं जिनके कायाकल्प की नितान्त आवश्यकता है।

क्या कहते हैं श्रद्धालु

क्षेत्रीय विधायक श्याम सुन्दर भारती का कहना है कि ठाकुरदास जी महराज की यह पावन तपोस्थली क्षेत्र की सबसे पुरानी सत्यनामी कुटी है,जहां आने से मन को सुखद आनंद की प्राप्ति होती है।

गीता धर्मार्थ चिकित्सालय के संरक्षण डॉ.बलदेव वर्मा बताते हैं कि कुटी में ठाकुर दास जी महराज के साथ ही गद्दीधर रेवती दास, बच्चूदास, नन्हेदास, महावीर दास सभी बाल ब्रह्मचारी थे।

वरिष्ठ समाजसेवी सुनील शुक्ला बताते हैं कि कुटी के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट अस्था है, जहां सच्चे मन से आने से मन की हर मुराद पूरी हो जाती है।

गूढ़ा प्रधान प्रतिनिधि अंकित वर्मा मेहरबान खेड़ा के रहने वाले रामफेर,अमर सिंह,पराग प्रसाद रावत बताते हैं कि कुटी में दूर-दूर से साधु,संत महात्मा और श्रद्धालु अक्सर आते रहते हैं।

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