एप्पल बेर और अमरूद की खेती ने बदल दी गंगासागर पांडेय और रामसागर पाण्डेय की किस्मत

  • कम लागत में खेती से कमा रहे लाखों का मुनाफा
  • उन्नतशील खेती की बदौलत बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने एवं इंजिनियरिंग की पढ़ाई कराने का सपना हुआ साकार

शिवगढ़,रायबरेली। शिवगढ़ थाना क्षेत्र के पुरासी गांव के रहने वाले प्रगतिशील एवं जागरूक कृषक राम सागर गंगा पाण्डेय और उनके भाई गंगासागर पांडेय मिलकर एप्पल बेर और अमरूद की बागवानी करके खेती से लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं, जिसकी बदौलत आज उनका सपना साकार हो गया है बच्चों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने के साथ ही अच्छे विद्यालयों में शिक्षा दिला रहे हैं।

रामसागर पाण्डेय और गंगा सागर पांडेय बताते हैं कि वर्ष 2020 में लॉकडाउन के समय जब देश की अधिकांश आबादी बेरोजगार होकर घरों में बैठी थी उस समय उनके मन में खयाल आया कि क्यों ना धान, गेहूं की फसल से हटकर कुछ ऐसी खेती की जाए जिससे कम लागत में आय में वृद्धि के साथ ही बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाई जा सके। जिसके बाद उन्होंने कृषि से संबंधित विभिन्न यूट्यूब चैनलों पर अच्छी आमदनी वाली खेती के विषय में देखने और समझाने के बाद एप्पल बेर और अमरूद की खेती करने का निर्णय लिया।

ऑनलाइन एप्पल बेर के पेड़ मंगाकर 4 एकड़ में एप्पल बेर की बाल सिंदूरी किस्म की नेचुरल खेती की शुरुआत की जिसका काफी अच्छा रिजल्ट देखने को मिला। एप्पल बेर की खेती से पहले साल ही लाखों का फायदा हुआ।

बताते हैं कि हर साल अप्रैल महीने में एप्पल बेर के पेड़ों की नीचे से कटाई कर देते हैं और 7 महीने में पेड़ फिर से तैयार हो जाते हैं जिनमें नवम्बर माह के पहले सप्ताह से फूल और फल आने लगते हैं। इसके साथ ही पिछले साल कोलकत्ता से अमरूद की ताइवान पिंक किस्म के पेड़ और जम्मू कश्मीर से सेब के ऑनलाइन पेंड़ मंगाकर करीब डेढ़ एकड़ में अमरूद और सेब की खेती की शुरुआत की हैं। क्लोन से तैयार किए गए अमरूद के पौधों में 1 वर्ष के अन्दर ही अमरूद पेड़ों में फल आने शुरू हो गए। पेड़ों में जमीन से लेकर ऊपर तक लगे बड़े-बड़े फलों को जो कोई देखता है वह स्तब्ध रह जाता है।

अमरूद की आम किस्मों की अपेक्षा बाजार में महंगे मूल्य पर बिकने वाले इन स्वादिष्ट, मुलायम एवं कम बीजों वाले अमरूदों को क्षेत्रीय व्यापारियों को सस्ते दर पर उपलब्ध करा रहे हैं। सबसे अच्छी बात है कि अमरूद की ताइवान पिंक किस्म में साल में तीन बार फल आते हैं। हालांकि अमरूद की ताइवान पिंक किस्म सुनकर दूर-दूर से व्यापारी उनके पास आने लगे हैं। इसके साथ ही सेब के पेड़ों में भी फूल और फल आने शुरू हो गए हैं किंतु पेड़ों के ग्रोथ को देखते हुए अभी फल नही ले रहे हैं। राम सागर पाण्डेय ने बताया की उनके पास 5 हेक्टेयर खेती है। जिसमें पराली और फसल अवशेष से गड्ढों में कम्पोस्ट खाद तैयार करके खेती करते हैं।

रासायनिक खांदो का प्रयोग न के बराबर कर दिया है, जिससे कम लागत में अच्छा उत्पादन मिल रहा है। रामसागर पांडेय के नेचुरल कृषि सागर फार्म पर बीएससी एजी के छात्रों के साथ ही क्षेत्रीय एवं दूर-दराज के किसान खेती के गुण सीखने आने लगे हैं। जिनसे क्षेत्र के किसान प्रेरणा ले रहे हैं।

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