बछरावां : बेटियों ने निभाया बेटे का फर्ज अपनी मां के अर्थी को दिया कंधा दी मुखाग्नि
रिपोर्ट – ललित मिश्रा
बछरावां : बेटियों ने मां की अर्थी को कंधा देकर पहुंचाया शमशान और दी मुखाग्नि. . . . . . अक्सर लोग अपने अंतिम समय में मुखाग्नि के लिए बेटों की चाहत रखते हैं परंतु आज के मौजूदा समय में जहां बेटियां हवाई जहाज उड़ाने से लेकर प्रत्येक क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं और यह सिद्ध कर रही हैं कि वह बेटों से कम नहीं है इसका एक ताजातरीन उदाहरण रायबरेली जनपद के बछरावां कस्बे के सत्यनारायण टोला में देखने को मिला इस मोहल्ले में गिरजा शंकर वर्मा अपनी पत्नी ज्ञानवती उम्र 64 वर्ष तथा दो बेटियां प्राची वर्मा 30 वर्ष व रुचि वर्मा 25 वर्ष के साथ रहते हे पुत्र न होने के कारण पुत्र ना होने के कारण अक्सर ज्ञानवती बातों बातों में यह कहा करती थी कि ईश्वर ने उनको बेटा नहीं दिया अंतिम संस्कार कौन करेगा यह सुनकर दोनों बहने अपनी मां को यह संतोष दिया करती थी कि वह उन्हें अपना बेटा माने और वक्त आने पर समाज को वह यह दिखा भी देंगे बीते समय चक्र में ज्ञानवती को कुछ दिन पूर्व कैंसर जैसे भयानक रोग हो गया घरवालों ने भरपूर इलाज किया बेटियां अपनी मां की बराबर सेवा कर रही थी.
दोनों बहनों ने मां को यह आश्वस्त किया था कि वह उनकी बेटी नहीं बेटा है
अचानक 29 सितंबर को ज्ञानवती की तबीयत ज्यादा खराब हो गई उन्हें मेडिकल कॉलेज लखनऊ पहुंचाया गया जहां डॉक्टरों के अथक प्रयास के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका वह जिंदगी की जंग हार गई गिरजा शंकर पत्नी के पार्थिव शरीर को लेकर बछरावां आए 30 सितंबर को दाह संस्कार होना था रुचि वर्मा और प्राची वर्मा द्वारा अपने पिता से कहा गया कि उन दोनों बहनों ने मां को यह आश्वस्त किया था कि वह उनकी बेटी नहीं बेटा है इसलिए बेटे का फर्ज उन्हें निभाने दिया जाए बेटियों की जिद के आगे गिरजा शंकर नतमस्तक हो गए और फिर उन्होंने अपनी बेटियों को अपना कर्म निभाने की इजाजत दे दी.
दोनों बहनों ने मां की अर्थी में कंधा लगाकर उन्हें श्मशान घाट तक पहुंचाया
पिता से इजाजत पाते ही दोनों बहनों ने मां की अर्थी में कंधा लगाकर उन्हें श्मशान घाट तक पहुंचाया और समाज की विरोधियों को धता बताते हुए अपनी मां को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार संपन्न किया इस संवाददाता से बात करते हुए दोनों बहनों ने कहा कि मेरी मां की अंतिम इच्छा थी कि उनकी संतान ही उनका अंतिम संस्कार करें उन दोनों बहनों के लिए मां की इच्छा सर्वोपरि है समाज कुछ भी कहे उन्हें किसी की चिंता नहीं है उन्होंने अपनी मां के पेट से जन्म लेने का फर्ज निभाया है बेटियों के इस हौसले की पूरे क्षेत्र ने चर्चा हो रही है और प्रबुद्ध वर्ग के लोग इसकी तारीफ कर रहे हैं निसंदेह बेटियों का यह जज्बा सलाम के काबिल है.
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