मुख्यमंत्री की कुर्सी के बाद अब शिवसेना के पार्टी चिन्ह पर छिड़ी जंग, कैसे होगा फैसला

एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनते ही महाराष्ट्र का सियासी भूचाल तो थम गया, लेकिन शिवसेना की लड़ाई जारी है। एकतरफ शिंदे गुट है तो दूसरी तरफ उद्धव गुट। दोनों खुद को असली शिवसेना बता रहे हैं। अब लड़ाई है शिवसेना के चुनाव चिह्न की। जिसे चुनाव चिह्न मिलेगा, वो ही असली शिवसेना मानी जाएगी। यह लड़ाई चुनाव आयोग में लड़ी जाएगी। जरूरत पड़ी तो दोनों पक्ष कोर्ट भी जाएंगे। विवाद सुलझ गया तो ठीक नहीं तो दोनों पक्षों को अलग-अलग चुनाव चिह्न आवंटित करने का विकल्प भी रहेगा। रिपोर्ट्स की मानें तो एकनाथ शिंदे का खेमा पार्टी के चुनाव चिन्ह पर दावा करने की तैयारी कर रहा है। वहीं उद्धव ठाकरे गुट भी स्पष्ट रूप से बिना लड़ाई के हार नहीं मानेगा।

केवल विधायकों का समर्थन पर्याप्त नहीं

‘असली शिवसेना’ को पार्टी के सभी पदाधिकारियों, राज्य के विधायकों और संसद सदस्यों से बहुमत का समर्थन प्राप्त करना होगा। केवल एक पक्ष में बड़ी संख्या में विधायकों का होना ही उसे पार्टी के रूप में मान्यता देने के लिए पर्याप्त नहीं है।

पीएम मोदी ने कहा, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए देवेंद्र फडणवीस को बधाई। वह भाजपा के हर कार्यकर्ता के लिए प्रेरणा हैं। उनके अनुभव का लाभ महाराष्ट्र सरकार के लिए बहुत लाभदायी साबित होगा और राज्य के विकास को मजबूती देगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट किया, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के कहने पर बड़ा दिल दिखाते हुए देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के हित में सरकार में शामिल होने का निर्णय लिया है। यह निर्णय महाराष्ट्र के प्रति उनकी निष्ठा और सेवा भाव का प्रतीक है। मैं उन्हें बधाई देता हूं।

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