Shani Pradosh 2024: शनि प्रदोष व्रत आज, जानें कैसे की जाती हैं ,पुजाविधि और उनके महत्व |
श्री डेस्क : शनि प्रदोष व्रत की पूजा के लिए जल, पंचामृत
(दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर), बेलपत्र, धतूरा, चंदन, फल, पुष्प, दीपक, धूप, और नैवेद्य की आवश्यकता होती है।
इसके अलावा, शनि देव को प्रसन्न करने के लिए काले तिल, काला वस्त्र, और काली उड़द का दान करना भी शुभ माना जाता है।
Shani Pradosh 2024: हिंदू धर्म में शनि प्रदोष व्रत का अत्यधिक महत्व रखता है।
प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है
हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 31 अगस्त, 2024 को पड़ रही है।
ऐसे में आज के दिन ही प्रदोष व्रत रखा जाएगा।
महत्व
शनि प्रदोष वह प्रदोष व्रत है जो शनिवार के दिन आता है। इस व्रत का विशेष महत्व है
यह न केवल भगवान शिव की पूजा के लिए बल्कि शनि देव को प्रसन्न करने के लिए भी किया जाता है।
शनिदेव को न्याय के देवता माना जाता है और उनके अशुभ प्रभाव से बचने के लिए लोग शनि प्रदोष का व्रत रखते हैं।
शनि प्रदोष व्रत का पालन करने से व्यक्ति को शनि दोष, साढ़ेसाती, ढैया और अन्य शनि संबंधित कष्टों से मुक्ति मिलती है।
यह व्रत जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और मानसिक संतुलन को बढ़ावा देता है।
जो व्यक्ति इस व्रत का श्रद्धा पूर्वक पालन करते हैं |
उन्हें शनिदेव की कृपा मिलती है और उनका जीवन सुखमय होता है।
शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि
स्नान और संकल्प
व्रतधारी को सुबह स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।
इसके बाद भगवान शिव और शनि देव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
संकल्प करते समय, ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करना चाहिए और शनि देव के लिए ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
पूजा सामग्री की तैयारी
शनि प्रदोष व्रत की पूजा के लिए जल, पंचामृत
(दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर), बेलपत्र, धतूरा, चंदन, फल, पुष्प, दीपक, धूप, और नैवेद्य की आवश्यकता होती है |
इसके अलावा, शनि देव को प्रसन्न करने के लिए काले तिल, काला वस्त्र, और काली उड़द का दान करना भी शुभ माना जाता है।
भगवान शिव और शनि देव की पूजा
शाम के समय, सूर्यास्त से लगभग एक घंटे पहले किसी शिव मंदिर में जाएं।
सबसे पहले गणेशजी का पूजन करें क्योंकि किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश पूजन का विशेष महत्व है।
इसके बाद, शिवलिंग पर जल और पंचामृत से अभिषेक करें। बेलपत्र, धतूरा, और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें।
शनि देव के लिए काले तिल और तेल से दीपक जलाएं और उन्हें काले वस्त्र और उड़द का अर्पण करें।
मंत्र जाप और आरती
भगवान शिव और शनि देव की पूजा के बाद उनके मंत्रों का जाप करें।
शिवजी के लिए ‘ॐ नमः शिवाय’ और शनि देव के लिए ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए।
इसके बाद शिवजी और शनि देव की आरती गाएं और उन्हें नैवेद्य अर्पित करें।
दान और प्रसाद वितरण
पूजा के अंत में, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें।
शनि देव को प्रसन्न करने के लिए काले तिल और काले वस्त्र का दान अत्यंत शुभ माना जाता है।
पूजा के प्रसाद को घर के सभी सदस्यों में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
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