चलेगा कागजी खेल या होगा तालाब की जमीन पर बने पेट्रोल पम्प का ध्वस्तीकरण..?

  • तालाब की जमीन को कब्जाकर मोटी रकम वसूलने का कार्य करता रहा पेट्रोल पंप मालिक
  • आखिर पेट्रोल पंप मालिक मो. हसनैन ने कैसे कर लिया तालाब की बेशकीमती जमीन पर कब्जा..?
  • पेट्रोल पंप के लंबे अरसे से हो रहे संचालन ने बयां की कागजों पर सीमित नियम कानून की कहानी

रायबरेली_वो कहते है ना की नियम और कानून सिर्फ कमजोर और गरीबों के लिए होते है रसूखदारों के लिए नियम और कानून सिर्फ कागजों तक ही सीमित हो जाते है ऐसा ही आलम इन दिनो जिले के भदोखर थाना क्षेत्र के कुचरिया में स्थित पेट्रोल पंप के मालिक के साथ देखने को मिल रहा है।

लंबे अरसे से तालाब की जमीन पर धड़ल्ले से संचालित हो रहे पेट्रोल पंप ने पेट्रोल पंप के मालिक मो. हसनैन के रुतबे की कहानी बयां करता है सरकारी अभिलेखों में दर्ज तालाब की बेशकीमती जमीन पर लंबे समय से मो. हसनैन का कब्जा ही तहसील प्रशासन में तैनात अधिकारियों की संवेदनहीनता को बयां करने के लिए काफी है। क्योंकि सरकारी अभिलेखों में दर्ज बेशकीमती जमीन के संरक्षण के लिए सरकारी कुर्सियों पर विराजमान किरदारो के द्वारा तालाब की बेशकीमती जमीन पर कब्जे की इस कहानी से बेखबर होकर सिर्फ मूक बनने की कला ने पेट्रोल पंप मालिक के हौसले बुलंद कर दिए है। हालांकि इन दिनो एक बार फिर से कुचरिया स्थित पेट्रोल पंप सुर्खियों में आ गया है।

जब एसडीएम सदर के द्वारा तालाब की जमीन पर संचालित हो रहे पेट्रोल पंप के संबंध में मिथलेश त्रिपाठी के मुकदमे में विनिमय की अर्जी को खारिज कर दिया है। मुकदमे की पैरवी करने वाले सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता संतोष बहादुर सिंह ने बताया है की पेट्रोल पंप सरायदामु के जिस गाटा संख्या पर संचालित हो रहा है वो उक्त भूमि तालाब के खाते में दर्ज है। 29जनवरी 2022को पूर्व सहायक कलेक्टर ने भूमि को मो.हसनैन के नाम से खारिज करते हुए तालाब के खाते में दर्ज कराने के आदेश दिए थे।

इसके बाद पेट्रोल पंप मालिक ने विनिमय की अर्जी लगाई थी हालाकि की उस अर्जी को मौजूदा एसडीएम के द्वारा खारिज कर दिया गया है। लेकिन लंबे अरसे से तालाब की भूमि पर धड्डले से संचालित हो रहे पेट्रोल पंप ने मालिक की हिमाकत और रुतबे की कहानी को बयां कर दिया है। साथ ही सरकारी संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा कर पेट्रोल पंप संचालित कराने की हिमाकत ने सरकारी अभिलेखों में दर्ज सुरक्षित जमीनों के संरक्षण के लिए सरकारी कुर्सियों पर विराजमान नुमाइंदों के भ्रष्टाचारी इरादो की पोल भी खोल कर रख दी है। फिल्हाल अब देखना ये है की क्या विनिमय की अर्जी के खारिज होने के बाद पेट्रोल पंप पर गाज गिरेगी या फिर पेट्रोल पंप मालिक मो.हसनैन के द्वारा जुगाड़ और अपनी मैनेजमेंट की दमदार कला के आगे नियम और कानून को कागजों की फाइलों तक ही निपटा दिया जायेगा।

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