बच्चों के विकास में बाधा हैं पेट के कीड़े : डा. अमित कुमार

रिपोर्ट – उपेंद्र शर्मा

  • एल्बेंडाजोल खाओ पेट के कीड़ों को निकाल भगाओ।
  • जनपद में करीब 6.91 लाख बच्चों-किशोरों को आज खिलाई जाएगी पेट के कीड़े निकालने की दवा एल्बेंडाजोल।

 

नोएडा, 19 जुलाई 2022। पेट के कीड़े (कृमि) बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। इनके पेट में रहते बच्चे पनप नहीं पाते हैं और कई तरह की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। बच्चों का एनीमिक और कुपोषित होने का एक बड़ा कारण पेट के कीड़े ही हैं। यह कीड़े मनुष्य की आंत में रहते हैं और जीवित रहने के लिए शरीर के जरूरी पोषक तत्व को खाते रहते हैं, इस वजह से बच्चे एनीमिया और कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। यह कहना है डिस्ट्रिक्ट पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डा. अमित कुमार का।

डा अमित ने बताया बुधवार ( 20 जुलाई) को जनपद में कृमि मुक्ति कार्यक्रम के तहत एक से 19 साल तक के करीब 6.91 लाख बच्चों और किशोरों को पेट के कीड़े निकालने की दवा (एल्बेंडाजोल) खिलाई जाएगी। कार्यक्रम का शुभारंभ मोरना स्थित प्राथमिक विद्यालय में होगा। जो बच्चे दवा खाने से छूट जाएंगे, उन्हें मॉपअप राउंड में 25 से 27 जुलाई तक गोली खिलाई जाएगी।

कृमि संक्रमण का संचरण चक्र

डा. अमित का कहना है संक्रमित बच्चे के शौच में कृमि के अंडे होते हैं, खुले में शौच करने से यह अंडे मिट्टी में मिल जाते है और विकसित होते रहते हैं। इससे अन्य बच्चे नंगे पैर चलने से, गंदे हाथों से खाना खाने से या फिर बिना ढका हुआ भोजन खाने से लार्वा के संपर्क में आने से संक्रमित हो जाते हैं।

कृमि संक्रमण के लक्षण-गंभीर कृमि संक्रमण से कई लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जैसे दस्त पेट में दर्द, कमजोरी, उल्टी, जी मिचलाना, गुदा मार्ग में खुजली, शरीर का विकसित न होना, भूख कम लगना, खाना खाने का मन नहीं करना, पेट फूलना आदि। बच्चे में कृमि की संख्या जितनी ज्यादा होगी लक्षण उतने ही अधिक होंगे। कृमि मनुष्य की आंत में रहते हैं और जीवित रहने के लिए उसके शरीर के जरूरी पोषक तत्व को खाते रहते हैं। यह कीड़े विषाक्त रस छोड़ते हैं, जिससे बच्चे का पोषण रुक जाता है।

कुछ खाकर ही खाएं दवा

दवा के थोड़े प्रतिकूल प्रभाव दिखने पर घबराने की आवश्यकता नहीं है। यह दवा बिल्कुल सुरक्षित है। दवा खाली पेट न खाएं। पेट में अधिक कीड़े या कृमि होने से उनमें दवा देने पर कुछ बच्चों एवं किशोर-किशोरियों में प्रतिकूल प्रभाव जैसे हल्का चक्कर, थोड़ी घबराहट या उल्टी हो सकती है, जो दो से चार घंटे में स्वतः ही समाप्त हो जाती है।

बचाव -नाखून साफ और छोटे रखें, हमेशा साफ पानी पियें, खाने को ढक कर रखें, साफ पानी से फल संब्जियां धोएं, साबुन पानी से हाथ धोएं, विशेषकर खाने से पहले और शौच जाने के बाद, आस-पास सफाई रखें, जूते पहनें, खुले में शौच न करें हमेशा शौचालय का प्रयोग करें।

उपचार– कृमि संक्रमण का इलाज सुरक्षित और लाभकारी डीवॉर्मिंक टैबलेट (एल्बेंडाजोल) का उपयोग करके किया जा सकता है।

लाभ– स्वास्थ्य और पोषण में सुधार, रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि, एनीमियां नियंत्रण, समुदाय में कृमि संक्रमण की व्यापकता में कमी, सीखने की क्षमता और कक्षा में उपस्थिति में सुधार, वयस्क होने पर काम करने की क्षमता में बढ़ोतरी।

दवा की खुराक खिलाने का तरीका

एक से दो साल के बच्चों को आधी गोली खिलानी है। गोली को दो चम्मच के बीच रखकर पूरी तरह चूरा कर पीने के पानी में मिलाकर खिलाएं। इसी तरह दो से तीन साल के बच्चों को एक पूरी गोली खिलानी हैं। तीन से 19 साल तक के बच्चों और किशोरों को दबा चबाकर खानी है। बिना चूरा करें या बिना चबा कर खायी गयी गोली का प्रभाव कम हो सकता है।

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