श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र बना श्री बरखण्डीनाथ महादेव मन्दिर
आज सोमवार को मन्दिर में उड़ेगा आस्था का सैलाब
शिवगढ़,रायबरेली : क्षेत्र में शिवगढ़ नगर पंचायत के बरखण्डीनाथ में स्थित प्राचीन कालीन श्री बरखण्डीनाथ महादेव मन्दिर सैकड़ों वर्षों से हजारों श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केन्द्र बना हुआ है। श्री बरखण्डीनाथ महादेव मन्दिर अपनी महिमा के लिए दूर-दूर तक विख्यात है, जहाँ क्षेत्र ही नही दूर दराज से हजारों श्रद्धालु आकर मन्दिर में माथा टेककर मनोंकामनाएं मांगते हैं। मान्यता है कि यहाँ श्रद्धालुओं द्वारा सच्चे मन से मांगी गयी हर मुराद पूरी होती है। शिवगढ़ कस्बे से 1 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा में स्थित प्राचीन कालीन श्री बरखण्डीनाथ शिव मन्दिर का निर्माण तो राजा रामेश्वर बक्स सिंह ने करवाया था, किंतु मन्दिर में विराजमान शिवलिंग स्वयंभू है। कहा जाता है कि राजा रामेश्वर बक्श सिंह की कोई संतान नहीं थी परन्तु वे सच्चे शिव भक्त थे। उन्होंने शिवगढ़ कस्बे में कई मन्दिरों का निर्माण करवाया था। बताते हैं कि सैकड़ों वर्षो पूर्व मन्दिर के स्थान पर एक ऊंचा टीला और उसके आस-पास घना जंगल हुआ करता था। जहां राजा रामेश्वर बक्स सिंह शिकार खेलने जाया करते थे। एक रात स्वप्न में राजा को शिवजी ने दर्शन दिया और कहा तुम्हारी कोठी से एक किलोमीटर दूर पूरब में स्थित टीले के नीचे दबा पड़ा हूँ लोकहित के लिए तुम उस टीले की खुदाई कराओ और मुझे निकालकर स्थापित करो। ब्रम्ह मुहूर्त में आए स्वप्न की बात को राजा ने विद्वानजनों के समक्ष रखा, जिस पर सभी ने कहा राजन नीतिशास्त्र कहती है कि ब्रह्म मुहूर्त का स्वप्न सत्य होता है। हमें उस टीले की खुदाई करानी चाहिए, सर्वसम्मति से 21 दिन तक उस टीले की खुदाई चलती रही परंतु शिवलिंग नहीं मिला। 21 वे दिन राजा को फिर स्वप्न हुआ राजन मैं तो प्रगट हो चुका हूँ और स्वप्न के अनुसार दूसरे दिन जब सब लोग वहाँ गए तो स्वयंभू शिवलिंग को देखा। जिसकी खुदाई की गई किंतु शिवलिंग कितनी गहराई तक है उसका पता नहीं लग सका। जिससे राजा की आस्था और बढ़ गई उन्होंने मंत्रोच्चारण के साथ विधि-विधान पूर्वक पूजा अर्चनाकर शिवलिंग की पूजा अर्चना कर प्राण प्रतिष्ठा कराई। जिसके पश्चात विशाल शिव मन्दिर का निर्माण कराया। बताते हैं कि जैसे-जैसे शिव मन्दिर का निर्माण होता गया वैसे-वैसे शिवलिंग अपने आप ऊपर आता गया। क्षेत्र के बुजुर्ग बताते हैं कि श्रीबरखण्डीनाथनाथ की कृपा से राजा को चौथेपन में एक वर्ष के भीतर पुत्ररत्न की प्राप्ति हो गई जिसका नाम उन्होंने इसी मन्दिर के नाम पर श्री बरखण्डी महेश प्रताप नारायन रखा। कालांतर में राजा श्री बरखण्डी महेश प्रताप बड़े प्रतापी राजा हुए और अपने पिता के आदर्शों पर चलते हुए अपने राजधर्म का पालन किया।
पुजारी राकेश गोस्वामी ने बताया कि मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद जरूर पूरी होती है, साल के बारहों महीने हर सोमवार को यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आकर माथा टेकते हैं और मनवांछित फल के लिए मनोकामनाएं मांगते हैं।
पूरे पाण्डेय के रहने वाले श्रद्धालु अंकुर मिश्रा ने बताया कि वैसे तो यहाँ प्रत्येक सोमवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है परंतु सावन में तो भोले के भक्तों का ताँता लगा रहता है हर कोई यहाँ माथा टेककर अपने घर परिवार की सुख समृद्धि की कामना करने को बेताब रहता है।
जीर्णोद्धार से मन्दिर की खूबसूरती में लगे चार चांद
श्री बरखण्डी विद्यापीठ इण्टर कालेज शिवगढ़ के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ.त्रिद्विवेन्द्रनाथ त्रिपाठी के सार्थक प्रयासों एवं श्रद्धालुओं के सहयोग से 4 वर्ष पूर्व मंदिर का जीर्णोद्धार होने से मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लग गए हैं।
सावन के सोमवारों में सुरक्षा व्यवस्था के रहेंगे पुख्ता इंतजाम
सावन के हर सोमवार को मंदिर में उमड़ने वाली श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को लेकर मंदिर प्रांगण में सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम रहेंगे। रास्ते से लेकर मन्दिर प्रांगण तक चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात रहेगी। थाना प्रभारी श्याम कुमार पाल ने बताया कि मंदिर को जाने वाले सभी रास्तों में पुलिस की पैनी नजर रहेगी।
दबाव और प्रभाव में खब़र न दबेगी,न रुकेगी