रायबरेली : नही रहे वरिष्ठ साहित्यकार सीताराम चौहान पथिक सृजन संस्थान द्वारा शोकाञ्जलि सभा का हुआ आयोजन
रायबरेली : सृजन संस्थान एवं संवेदना साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वावधान में शत्रुघ्न सिंह चौहान वरिष्ठ साहित्यकार की अध्यक्षता में शोक सभा का आयोजन मलिक मऊ कॉलोनी रायबरेली में कवि हरिश्चंद्र त्रिपाठी हरीश के आवास पर किया गया।
देश के प्रतिष्ठित कवि सीताराम सिंह चौहान पथिक के आज दिनांक 4 . 2. 2022 को हृदयाघात से हुई मृत्यु पर शोक संवेदना व्यक्त की गई ।
पथिक का जन्म 9 जुलाई 1940 को बटिंडा पंजाब में हुआ था। पथिक द्वारा भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने के भाव से गुरुकुल पद्धति एवं परंपरा को आगे बढ़ाने हेतु वर्ष 2021 में दिल्ली से प्रकाशित चर्चित महत्वपूर्ण पुस्तक “गुरुकुल शिक्षा : एक स्वर्णिम अध्याय ” का प्रकाशन बताया गया ।
जिसकी भूमिका डॉ.रसिक किशोर सिंह नीरज द्वारा लिखी गई ।
पथिक जी द्वारा सृजित दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। तथा उन्हें विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा लगभग 95 सम्मानों से अधिक बार अलंकृत होने का गौरव प्राप्त हुआ है । पथिक जी को हिंदी साहित्यकाश का देदीप्यमान नक्षत्र बताते हुए डॉ. नीरज ने हिंदी साहित्य की अपूरणीय क्षति बताया।
पथिक के द्वारा की गई हिंदी सेवाओं का उल्लेख करते हुए डॉ. नीरज ने कुछ प्रमुख पुस्तकों के नाम बताया — “घुंघट: कुछ कड़वे कुछ मीठे” (कहानी संग्रह ) नारी तुम केवल श्रद्धा हो (नाटक) दपीण , वेदनाओं के ज्वालामुखी, लावा, पीड़ा, घटते मूल्यों की (कहानी संग्रह) कृष्ण सुदामा मैत्री, स्वाभिमानी महाराणा प्रताप, गुरुकुल शिक्षा : एक स्वर्णिम अध्याय (खंडकाव्य ) के अलावा बचपन और पचपन (बाल गीत) संग्रह आदि पुस्तकों पर विस्तार से चर्चा करते हुए उनकी रचना धर्मिता को स्मरण किया।
श्रद्धा सुमन समर्पित करने वाले साहित्यकारों में सर्व श्री डॉ. रसिक किशोर सिंह नीरज, हरिश्चंद्र त्रिपाठी हरीश, दुर्गा शंकर वर्मा दुर्गेश , आचार्य निशिहर, राजेंद्र कुमार वर्मा राज, प्रदीप त्रिवेदी दीप, सुमित तिवारी सुमित, शिव बहादुर सिंह दिलबर, इंद्र बहादुर सिंह भदौरिया, इंद्रेश अभिमन्यु सिंह नवल किशोर तिवारी एडवोकेट, पूर्व न्यायाधीश रामचंद्र शुक्ल आदि लोग उपस्थित रहे।
अंत में सभा के सभी लोगों ने उनके परिवार की अपूरणीय क्षति से उत्पन्न कष्ट सहने की क्षमता एवं उनकी आत्मा की शांति हेतु 2 मिनट का मौन रखकर ईश्वर से प्रार्थना किया।