भागवत कथा सुनने से नहीं उसको आचरण में उतारने से मुक्ति मिलती है : आचार्य
शिवगढ़ (रायबरेली) भागवत कथा सुनने से नहीं उसको अपने आचरण में उतारने पर मुक्ति मिलती है। यह उद्गार भागवत कथा के दौरान शिवगढ़ धाम से पधारे आचार्य बृजेन्द्र शुक्ल ने व्यक्त किए। आचार्य बृजेंद्र शुक्ल ने जमुरावां गांव में चल रही भागवत कथा में कहा कि भागवतकथा सुनने की चीज नहीं है उसको आचरण में उतारने की आवश्यकता है। उसका अध्ययन और मनन करने की आवश्यकता है,18000 श्लोकों की श्रृंखला से भागवत महापुराण का प्रादुर्भाव हुआ है। राजा परीक्षित को सुखदेव मुनि ने अपने मुखारविंद से मोक्ष प्राप्ति के लिए यह कथा सुनाई थी। भागवत महापुराण ऐसा सागर है जिसमें गोता लगाने वाला व्यक्ति कभी गहराई प्राप्त नहीं कर सकता क्योंकि यह अनेक समुद्रों की गहराई से भी अधिक गूढ़ रहस्य वाला एक ग्रंथ है। धुंधकारी अभिमानी पापयुक्त व्यभिचारी दुराचारी सारे अवगुणों से परिपूर्ण था किन्तु उसकी जब मृत्यु हुई तो गोकर्ण को इसकी सूचना प्राप्त हुई। गोकर्ण ने भाई धर्म का पालन करते हुए विद्वान आचार्य से धुंधकारी की मुक्ति का मार्ग पूछा। विद्वानों ने श्रीमद्भागवत कथा के विषय में बताया। गोकर्ण ने पूरे विधि विधान पूर्वक कथा का श्रवण किया और सातवें दिन धुंधकारी को प्रेत योनि से मुक्ति मिल गई।कथा के मुख्य यजमान पवन मिश्र आदि उपस्थित रहे, पूर्व के विद्वान आचार्य बालेंद्र त्रिपाठी छोटकऊ पंडित आदि ने विधि विधान पूर्वक मंत्रोच्चारण के साथ वेदी पूजन किया। इस मौके पर श्रोता प्रेमशंकर मिश्र,प्रवीण त्रिपाठी,रुद्र तिवारी, अमित तिवारी आदि उपस्थित रहे।
दबाव और प्रभाव में खब़र न दबेगी,न रुकेगी