मनाया गया भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव का बलिदान दिवस
रिपोर्ट अंगद राही
- भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव ने हंसते- हंसते चूम लिया था फांसी का फंदा : राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव
शिवगढ़,रायबरेली। क्षेत्र के शिवगढ़ कस्बा स्थित कृतिका ज्ञान विज्ञान स्कूल में उत्तर प्रदेश किसान सभा के रायबरेली जिलाध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव के नेतृत्व में शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का बलिदान दिवस मनाया गया। वक्ताओं ने सरदार भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि दी एवं उनके विचारों एवं सिद्धांतों को याद किया।
राजेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव ने भारत माता के तीनों वीर सपूतों के जीवन पर विस्तृत रूप से प्रकाश डालते हुए कहा कि भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव भारत माता के सच्चे वीर सपूत थे, जिन्होंने देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम को अपने प्राणों से भी अधिक महत्व दिया और मातृभूमि के लिए हंसते-हंसते अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। जिनकी शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता उन्होंने कहा कि भगत सिंह चाहते थे कि आजादी के बाद एक ऐसा भारत बने जिसमें पूर्ण रूप से सामाजिक एवं आर्थिक समानता रहे।
शेषपाल सिंह ने कहाकि भगतसिंह ने अपने अति संक्षिप्त जीवन में वैचारिक क्रांति की जो मशाल जलाई, उनके बाद अब किसी के लिए संभव न होगी। उन्होंने कहा कि इंसान को तो मारा जा सकता है उसके विचारों को नहीं। भगतसिंह चाहते थे कि कोई खून-खराबा न हो तथा अंग्रेजों तक उनकी आवाज पहुंचे।
निर्धारित योजना के अनुसार भगतसिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को केंद्रीय असेम्बली में एक खाली स्थान पर बम फेंका था। इसके बाद उन्होंने स्वयं गिरफ्तारी देकर अपना संदेश दुनिया के सामने रखा। उनकी गिरफ्तारी के बाद उन पर एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जेपी साण्डर्स की हत्या में भी शामिल होने के कारण देशद्रोह और हत्या का मुकदमा चला। यह मुकदमा भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में लाहौर षड्यंत्र के नाम से जाना जाता है। करीब 2 साल जेल प्रवास के दौरान भी भगतसिंह क्रांतिकारी गतिविधियों से भी जुड़े रहे और लेखन व अध्ययन जारी रखा, अंतिम समय तक वे क्रांतिकारियों की जीवनी पढ़ते रहे।
खेत मजदूर यूनियन रायबरेली के जिला संयोजक चंद किशोर आजाद ने कहाकि सरदार भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव ने हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिया किंतु माफी नहीं मांगी। उन्होंने कहा कि भगत सिंह के अन्दर बचपन से क्रांति की ज्वाला धधक रही। बचपन में पूछने पर उन्होंने कहा था कि मिट्टी में बंदकें बो रहा हूं।
इस मौके पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक रामकिशोर, विक्रम सिंह, संजय श्रीवास्तव, लाभ सिंह, रामराज, संदीप श्रीवास्तव, राबिया बानो, करुणा सिंह, आस्था शुक्ला, राजेश कनौजिया, जगदीशपुर प्रधान प्रतिनिधि शिवकुमार यादव, हर्षित श्रीवास्तव, समृद्धि सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।