किस दिन की जाती है वैभव लक्ष्मी की पूजा
वैभव लक्ष्मी की पूजा के महत्व यह पूजा शुक्रवार के दिन की जाती है इस दिन वैभव लक्ष्मी माता लक्ष्मी के साथ-साथ माता संतोषी की भी पूजा की जाती है और यह व्रत सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला है इस व्रत को करने से मनुष्य के सभी संकट दूर हो जाते हैं यह व्रत स्त्रियों के साथ-साथ पुरुष और लड़की लड़कियां भी कर सकते हैं यह व्रत 21 या 11 शुक्रवार तक किया जाता है पूजा विधि और सामग्रीसर्वप्रथम आप वैभव लक्ष्मी कथा की किताब मंगा लें और कुमकुम हल्दी धूपबत्ती रुई की बत्ती आम का पल्लव हवन लाल कपड़ा आदि से पूजा करें सोने या चांदी का गहना रख सकती हैं.,
- कैसे की जाती है माता की पूजा यह पूजा शुक्रवार की शाम को गोधूलिया के समय की जाती है शाम के समय अपने घर के आंगन को साफ कर ले फिर नहा धोकर के खीर बना ले खीर बनाकर के आंगन में सभी पूजा की सामग्री रख ले फिर अपने घर परिवार और बंधुओं सहित बुला ले उसके बाद आंगन में पूरब की ओर मुंह करके बैठ जाए।
- सर्वप्रथम आप एक पाटा रख ले अगर पर चौकी हो तो चौकी रख ले उसके ऊपर एक लाल रंग का कपड़ा बिछा देलाल रंग के कपड़े के ऊपर एक मुट्ठी चावल का ढेर बना ले उसके ऊपर तांबे का कलश रख दे तांबे के कलश के ऊपर आम का पल्लव रखें और एक कटोरी में सोने का सिक्का चांदी का सिक्का अगर सोना चांदी ना हो तो आप रुपया भी रख सकती है उसके ऊपर एक घी का दीपक जलाकर रख दे और धूप बत्ती जला के रख दी किताब श्री यंत्र निकाल ले ।
- माता लक्ष्मी को श्रीयंत अत्यधिक प्रिय है इसलिए उसको निकालकर पाटे के ऊपर रख दे और उस पर जल छिड़क दें फिर हल्दी चावल कुमकुम पुष्प कमल का हो या फिर गुलाब काआदि से उसकी पूजा करके धूप दीप जला दे फिर कथा विस्तार से सुने और कहे उसके बाद कथा समाप्त के बाद आरती करें हवन करें और जो खीर का प्रसाद आपने बनाया है उसको माता को भोग लगाए और जो प्रसाद आपने कटोरी में निकाला है इससे थोड़ा प्रसाद निकालकर संपूर्ण प्रसाद में मिलाकर सबको पहले प्रसाद बांट दें और कटोरी में बचा हुआ प्रसाद है उसे खा कर के पानी पी ले फिर सिंदूर ले ले उसके बाद प्रसाद इतना ही खाए कि आपको डकार ना आए और फिर पूजा करके अपनी सभी गलतियों को माता के से क्षमा मांगी और फिर दूसरे दिन नहा धो करक जो चावल का ढेरजो आपने लगाया था उसे चिड़ियों को डाल दें और कलश का पानी क्यारी और तुलसी में डाल दे।