Navratri 2024: श्रीकृष्ण को पाने के लिए राधारानी ने की थी मां दुर्गा के इस शक्तिपीठ की पूजा, जानें मान्यता
आगरा : शारदीय नवरात्र यानि देवी मां के नौ स्वरूपों के पूजन का पर्व। वैसे तो देवी मां की 51 शक्तिपीठें हैं, लेकिन इनमें से एक वृंदावन में भी है। इसे कात्यायनी शक्तिपीठ कहा जाता है। मान्यता है कि यहां माता सती के केश गिरे थे। ये वही शक्तपीठ है जहां राधा रानी ने श्रीकृष्ण को पाने के लिए आराधना की थी।
द्वापर में रासेश्वर कृष्ण ने मोहिनी बांसुरी और अनूठी लीलाओं से ब्रज की गोपिकाओं को अपने प्रेमाकर्षण में बांध लिया था। गोपिकाएं तो बलिहारी थीं। उन्होंने कृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए मां कात्यायनी की आराधना की। तब से अब तक युवतियां की ओर से सुयोग्य वर के लिए मां की आराधना की परंपरा चली आ रही है
भागवत पुराण में उल्लेख है कि ब्रज की गोपिकाओं ने श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने का मन में विचार बनाया। ब्रज लीला के तत्वज्ञ गर्ग मुनि ने गोपिकाओं के इस मनोभाव को जानकर भगवान श्रीकृष्ण को सचेत कर दिया। ब्रज गोपिकाओं के संकल्प को देख वृंदा देवी एक दिन गोपिकाओं के पास पहुंचीं और उन्होंने कहा कि अगर श्रीकृष्ण को पाना है तो मां कात्यायनी की आराधना करो। गोपिकाओं ने वृंदा देवी द्वारा बताई विधि के अनुसार यमुना के तट पर एकत्रित होकर बालुई मिट्टी से मां कात्यायनी का श्रीविग्रह बनाया और उनकी वैष्णव विधि से पूजा कर एकमासीय व्रत का संकल्प लिया। इस पर प्रसन्न हुई मां ने गोपियों को वरदान दे दिया।
मंदिर के पुरोहित श्रीराम शास्त्री के अनुसार भागवत के दशम स्कंध में उल्लेख है कि ब्रह्माजी ने भगवान श्रीकृष्ण की परीक्षा लेने के लिए ब्रजमंडल के गोवंश और ब्रज गोप का हरण कर उन्हें ब्रह्मलोक ले गए। बिगड़ती स्थिति को संभालने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवंश और ब्रज ग्वालों का रूप धरकर एक साल तक ब्रज में निवास किया। इस तरह मां कात्यायनी का दिया गया वरदान पूरा हुआ। भगवान कृष्ण गोपियों के पति के रूप में उनके घर पर रहे थे। तभी से मान्यता है कि युवतियों की आराधना से प्रसन्न होकर आज भी मां उन्हें सुयोग्य वर प्रदान कर रही हैं। युवतियां आज भी मां कात्यायनी की आराधना कर व सुहाग की वस्तुएं अर्पित कर अपनी मनोकामना पूरी कर रही हैं।
देश के 51 शक्ति पीठों में से एक है मां कात्यायनी देवी मंदिर
नगर के राधा बाग इलाके में स्थापित मां कात्यायनी देवी का मंदिर देशभर में स्थापित मातारानी के 51 शक्ति पीठों में सम्मिलित माना जाता है। कात्यायनी पीठ के बारे में बताया जाता है कि यूं तो पूरे साल ही यहां भक्तों का आवागमन लगा रहता है, लेकिन नवरात्र के मौके पर देश-विदेश से लाखों भक्त मातारानी के दर्शन करने के लिए वृंदावन आते हैं।
1923 में हुई थी मां कात्यायनी मंदिर की स्थापना
कात्यायनी शक्ति पीठ मंदिर का इतिहास दर्शाने वाले दस्तावेज बताते हैं कि वृंदावन में कात्यायनी देवी शक्ति पीठ की स्थापना हिंदू महीने माघ की पूर्णिमा तिथि के दिन की गई थी। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह तिथि फरवरी 1923 में पड़ी थी। स्वामी केशवानंद महाराज नामक तपस्वी संत ने इसका पुनः निर्माण करवाया था। कहा जाता है कि वे मां कात्यायनी के परमभक्त थे। स्वप्न में मां कात्यायनी देवी ने उनसे वृंदावन आकर मंदिर बनवाने को कहा था। इसलिए वे वृंदावन आए। इसके बाद उन्होंने यहां कात्यायनी देवी का मंदिर बनवाया। स्वामी केशवानंद महाराज ने एक आश्रम भी बनवाया, जिसमें निवासरत रहते हुए उन्होंने अपना शेष जीवन बिताया।
नौ दिन तक लगता है नवरात्र में मंदिर के पास मेला
हर वर्ष माता कात्यायनी देवी मंदिर के निकट स्थित रंगजी के बड़े बगीचा में चैत्र और शारदीय नवरात्र के मौके पर मेले का भी आयोजन किया जाता है। मेले में अनेक प्रकार के खाद्य पदार्थ व बच्चों के लिए खेल खिलौने की दुकान सजती हैं। बृहस्पतिवार से माता के दरबार में भक्तों का तांता लगना आरंभ हो गया है।