माता-पिता की सेवा और प्रेम के साथ समाज में रहने की प्रेरणा ही धर्म का मूल है : शास्त्री
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सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन सुनाई गई भक्त प्रहलाद की कथा
रायबरेली। क्षेत्र के पूरे शिवदीन मजरे गुमावां स्थित ओरी दास बाबा की कुटी में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा वाचक शास्त्री चन्द्र प्रकाश मिश्रा ने अपनी अमृतमयी वाणी से शुकदेव की वन्दना के बारे में बताया।
श्रीमद्भागवत की अमर कथा एवं शुकदेव के जन्म का विस्तार से वर्णन करते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने शुकदेव जी महाराज को धरती पर भागवत कथा गायन करने के लिए भेजा ताकि कलियुग के लोगों का कल्याण हो सके। कथावाचक श्री मिश्रा ने तीसरे दिन भक्त प्रह्लाद प्रसंग का बखान करते हुए कहा कि भक्त प्रह्लाद ने माता कयाधु के गर्भ में ही नारायण नाम का मंत्र सुना था। जिसके सुनने मात्र से भक्त प्रह्लाद के कई कष्ट दूर हो गए थे। कथा का आगाज गुरु वंदना के साथ किया गया। इसके उपरांत उन्होंने भगवान श्री कृष्ण की पावन लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि बच्चों को धर्म का जो ज्ञान बचपन में दिया जाता है, वह जीवन भर उसका ही स्मरण करता है। ऐसे में बच्चों को धर्म व आध्यात्म का ज्ञान दिया जाना चाहिए। माता-पिता की सेवा व प्रेम के साथ समाज में रहने की प्रेरणा ही धर्म का मूल है। अच्छे संस्कारों के कारण ही ध्रुव जी को पांच वर्ष की आयु में भगवान का दर्शन प्राप्त हुआ। इसके साथ ही उन्हें 36 हजार वर्ष तक राज्य भोगने का वरदान प्राप्त हुआ था। ऐसी कई मिसालें हैं, जिससे सीख लेने की जरूरत है। कथा का आयोजन नरसिंह ऑटोमोबाइल्स लाही बॉर्डर गुमावा व काशी विश्वनाथ फर्टिलाइजर एवं समस्त ग्रामीणों के सामूहिक सहयोग से किया गया। मौके पर उपस्थित सूरज सिंह ने बताया कि महाशिवरात्रि के उपलक्ष में 11 फरवरी से 17 फरवरी तक आयोजित इस 7 दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के समापन पर 18 फरवरी को विशाल भण्डारे एवं मेले का आयोजन किया जाएगा।इस मौके पर सुर्जभान सिंह, विंकल सिंह,आशीष सिंह, प्रताप लोधी,द्वारिका,लाला यादव,संतोष आदि सैकड़ों की संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।

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