नम्बर हिलते नजर आयें, सीधी लाइन तिरछी दिखे तो तुरंत दिखाएं आँखों के डाक्टर को

रिपोर्ट – उपेंद्र शर्मा

  • कोविड के बाद बढ़ी आँखों की बीमारी : डा. निधी

नोएडा, 29 मई 2022। सीधी लाइन आड़ी-तिरछी नजर आये, धुंधला दिखने लगे, नम्बर हिलते डुलते नजर आयें तो तुरंत नेत्र रोग चिकित्सक से परामर्श करें। यह रेटिनोपैथी और आखों के रोगों का एक बड़ा लक्षण है। पिछले दिनों देखा गया है कि जिन लोगों को कोविड हुआ था उनमें काफी लोगों में इस तरह के लक्षण नजर आये हैं। यह पोस्ट कोविड का प्रभाव भी हो सकता है। यह बात जिला अस्पताल की नेत्र रोग

 विशेषज्ञ चिकित्सक डा. निधि ने कहीं।

डा. निधि का कहना है कि वैसे तो रेटिनोपैथी की बीमारी अधिकतर उन लोगों को होती है जो लम्बे समय तक शुगर, हाई ब्लड प्रेशर का शिकार होते हैं। इसके अलावा यह आनुवांशिक भी होती है, परन्तु कोविड के बाद से बहुत से ऐसे मरीज उपचार के लिए आये, जो न तो शुगर के पुराने मरीज हैं और न ही हाई ब्लड प्रेशर के। पर उनमें कुछ इस तरह के लक्षण नजर आये। उन्होंने कहा कोरोना वायरस की वजह से लोगों में यह परेशानी आयी। यदि कोरोना के कारण वायरल रेटिनोपैथी की शिकायत है तो तुरंत अपनी आँखों की जांच कराएं। लापरवाही और देऱ करने से समस्या बढ़ सकती है।

डा. निधि कहती हैं कि आंख हमारे शरीर का बहुत ही नाजुक अंग है। कोई भी बीमारी होने पर आंख अक्सर इशारा करती है। आंख के इशारे को हमें तुरंत समझना चाहिए। उन्होंने कहा हाई शुगर और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के शरीर के अन्य अंग- गुर्दे, ह्रदय आदि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है लेकिन उससे पहले आँखों में दिक्कत आना शुरू हो जाती है। आँखों में सूजन आना, धुंधला नजर आना, तिरछा दिखना, नम्बर दिलते डुलते नजर आना तमाम तरह के लक्षण हैं। दरअसल इस बीमारी में रेटिना को पोषण देने वाली रक्त वाहिकाओं को नुकसान होता है और यही रेटिनोपैथी का मुख्य कारण होता है।

घर पर भी जांच कर सकते हैं दृष्टि की

डा. निधि कहती हैं कि हम नियमित तौर पर आँखों की घर पर ही जांच कर सकते हैं। छह मीटर दूर रखी किसी कोई वस्तु या लिखा हुआ देखने में दिक्कत आये तो समझ लेना चाहिए कुछ गड़बड़ है। उन्होंने बताया दोनों आँखों की दृष्टि चेक करनी चाहिए। इसका तरीका है कि पहले एक आंख बंद कर छह मीटर की दूरी पर रखे उद्देश्य को देखें, फिर दूसरी आंख से। दोनों में देखने में फर्क लगे तो नेत्र चिकित्सक से परामर्श करें।

कई बीमारियों की दवा की वजह से भी होती है रेटिनोपैथी

नेत्र रोग विशेषज्ञ ने बताया- गठियां, टीबी व कई अन्य बीमारियों के उपचार के लिए दी जाने वाली दवा का असर भी आंख पर हो जाता है। इन बीमारियों का उपचार करा रहे लोगों को चाहिए कि वह अपनी आँखों पर ध्यान दें, यदि कोई लक्षण नजर आता है तो अपने चिकित्सक को इस बारे में बताएं, वह दवा बदल देंगे।

 

नॉन रिवर्सेबल है बीमारी

किसी को एक बार यदि रेटिनोपैथी हो जाती है तो वह उस स्थिति से वापस नहीं आती है, यानि बचाव ही इसका एक मात्र इलाज है। इसमें व्यक्ति अंधापन का शिकार हो जाता है। इसलिए अपनी आँखों को लेकर हमेशा सावधान रहे, सतर्क रहें

शुगर- बीपी रखें कंट्रोल में

डा. निधि का कहना है कि शुगर और बीपी के मरीजों को विशेषतौर पर अपनी आँखों का ध्यान रखना चाहिए। यह दोनों बीमारी रेटिनोपैथी की बड़ी वजह हैं। शुगर और बीपी के मरीजों को हर छह माह पर अपने रेटिना की जांच विशेषज्ञ चिकित्सक से जरूर करानी चाहिये।

गैर संचारी रोगों के फाइनेंस कम लॉजिस्टिक कंसलटेंट आशुदीप ने बताया- अप्रैल माह में जिला अस्पताल में ओपीडी में 4197 लोगों ने अपनी आँखों की जांच करायी, आँखों के 255 आपरेशन किये गये। इनमें एसआईसीएस विधि से 16 और फेको विधि से 238 आपरेशन हुए। 19 आपरेशन ग्लूकोमा के किये गये।

एसआईसीएस विधि

इस विधि में आँख में चीरा लगाकर पूरा लेंस बाहर निकालकर उसके स्थान पर एक कृत्रिम लेंस (आईओएस) लगाया जाता है।

फेक्ट्रोलेजर विधि

यह अत्याधुनिक तकनीक है, इसमें मोतिया बिंद को तोड़ने का कार्य फेक्ट्रोलेजर से किया जाता है और टुकड़ों को निकालने का कार्य फेको से किया जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *