मस्जिद की सीढ़ियों में दबी हैं मूर्तियां: श्रीकृष्ण विग्रह केस में सर्वे पर बहस जारी, 30 को अगली सुनवाई
श्री डेस्क : आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह दबे होने के मामले में सुनवाई हुई। वादी अजय प्रताप सिंह ने बहस में कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रथम महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने अपनी रिपोर्ट ए टूर इन ईस्टर्न राजपुताना 1882-83 में इसका जिक्र है।
योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ट्रस्ट के श्रीकृष्ण विग्रह, श्रीकृष्ण लला विराजमान आदि बनाम उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड आदि के केस में मंगलवार को सुनवाई में सर्वे पर बहस शुरू हो हुई। अदालत ने सुनवाई के लिए 30 नवंबर की अगली तारीख तय कर दी है।
वादी अजय प्रताप सिंह ने बहस में न्यायालय को बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रथम महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने अपनी रिपोर्ट ए टूर इन ईस्टर्न राजपुताना 1882-83 में लिखा है कि औरंगजेब ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान मंदिर के विग्रह आगरा की कुदसिया बेगम की सीढ़ियों के नीचे पैरों से कुचलने के लिए दबा दिए थे। जादूनाथ सरकार ने अपनी पुस्तक मासिर ए आलमगीरी में भी लिखा है।
विपक्षी संख्या-2 जामा मस्जिद ने सर्वे की लिखित में आपत्ति स्वीकार की है। जामा मस्जिद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अभिलेखों में जुमा मस्जिद के नाम से संरक्षित है। 1920 ई. में जामा मस्जिद को संरक्षित किया था। नोटिफिकेशन में जामा मस्जिद के चारों तरफ किसी निर्माण का उल्लेख नहीं है। मस्जिद में किसी भी प्रकार के इस्लामिक आयोजन का उल्लेख भी नहीं है। वर्तमान में मस्जिद के चारों तरफ रोड दुकानें बन गई। जिनमें व्यापार हो रहा है। कानून के अनुसार मस्जिद एक संरक्षित स्मारक है। 100 मीटर के दायरे में निर्माण नहीं किया जा सकता है। विपक्षी संख्या-3 भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने भी निर्माण करने पर कार्रवाई नहीं की।
पुरातत्व ने आरटीआई का दिया जवाब
पुरातत्व विभाग ने कहा है कि जामा मस्जिद का अभी तक किसी भी प्रकार का उत्खनन व अन्वेषण नहीं किया गया है। अभिलेखों के अनुसार श्रीकृष्ण विग्रह जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे हैं। जामा मस्जिद का कितना भाग जमीन के नीचे दबा है, यह सिर्फ जामा मस्जिद के जीआरपी सर्वे व अन्य वैज्ञानिक विधि के सर्वे से ही संभव हो पाएगा।