Government takeover should be removed from temples, Hindi should be declared national language: Rambhadracharya

मंदिरों से हटे सरकार का अधिग्रहण, हिंदी राष्ट्रभाषा घोषित हो: रामभद्राचार्य

Shree desk : तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने कहा कि हिंदू मंदिरों से सरकार का अधिग्रहण हटाया जाए. हिंदी राष्ट्रभाषा और रामचरितमानस को राष्ट्रग्रंथ घोषित किया जाए. उन्होंने कहा कि हिंदू जैसा कोई सहिष्णु हो नहीं सकता. हमारी सहिष्णुता की अग्निपरीक्षा हो रही है.

तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने शुक्रवार को देश के तमाम मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त की. उन्होंने कहा कि हिंदू मंदिरों से सरकार का अधिग्रहण हटाया जाए. हिंदी राष्ट्रभाषा और रामचरितमानस को राष्ट्रग्रंथ घोषित किया जाए. इसके साथ ही पाक अधिकृत कश्मीर को भारत में शामिल किया जाए.

राजनीतिक दलों में हिंदू और मुस्लिम धर्म पर बयानबाजी पर रामभद्राचार्य ने कहा, ये गलत है. सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया है कि हिंदुत्व भारतीयता का पर्यायवाची है. जो अत्याचार मुस्लिम दल कर रहा है, न जाने हम क्यों सहन कर पा रहे हैं. अभी दुर्गा पूजा में देखा आपने कितना बड़ा अनर्थ हो गया.

मेरी गवाही से बदली थी राम जन्मभूमि मामले की दिशा
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में रामभद्राचार्य ने कहा, जैसे मेरी गवाही से राम जन्मभूमि मामले की दिशा बदली थी, वैसे ही वहां की भी दिशा बदलेगी. इस मामले में कोर्ट से बुलावा आएगा तो मैं गवाही देने जाऊंगा. हिंदू जैसा कोई सहिष्णु हो नहीं सकता. हमारी सहिष्णुता की अग्निपरीक्षा हो रही है.

बांग्लादेश में क्या हुआ, बंगाल में क्या हो रहा है?
तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य ने कहा, बांग्लादेश में क्या हुआ? अन्य देशों में क्या हो रहा है? हमारे बंगाल में क्या हो रहा है? फिर भी हम सहन कर रहे हैं लेकिन अब नहीं करेंगे. रामभद्राचार्य बिजेथुआ महोत्सव में श्रीराम कथा करने पहुंचे हैं. कादीपुर कोतवाली के सूरापुर में पौराणिक बिजेथुआ महावीरन धाम है.

कौन हैं रामभद्राचार्य
रामभद्राचार्य का जन्म 1950 में यूपी के जौनपुर में हुआ था. नेत्रों से दुनिया न देख पाने वाले रामभद्राचार्य ने 4 साल की उम्र से ही लेखन कार्य शुरू कर दिया था. जब वो 8 साल के हुए तब भागवत और रामकथा कहनी शुरू की. तुलसी पीठ के पीठाधीश्वर रामभद्राचार्य को 22 भाषाओं का ज्ञान है. वो अनेक ग्रंथ भी लिख चुके हैं. भारत सरकार उन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित कर चुकी है.

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