Diwali 2024 : दीपोत्सव पर बृहस्पति का संयोग बरसाएगा महालक्ष्मी की कृपा, धनतेरस पर बन रहा है खास संयोग
Varanasi : 31 अक्तूबर को स्थिर लग्न, प्रदोष काल और निशीथ व्यापिनी अमावस्या में दीपोत्सव का महापर्व मनाया जाएगा। इस बार दीपावली पर बृहस्पतिवार का संयोग होने से मां लक्ष्मी के पूजन करने पर सुख-समृद्धि का योग बन रहा है।
प्रकाश पर्व दीपावली कार्तिक अमावस्या को मनाई जाएगी। पंच दीपोत्सव की शुरुआत धन त्रयोदशी से होगी और समापन भैया दूज के साथ होगा। पांच दिनों का दीपोत्सव इस बार छह दिनों का होगा।
पंच दीपोत्सव की शुरुआत 29 अक्तूबर को कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के साथ होगी। धनत्रयोदशी पर भौम प्रदोष का संयोग बन रहा है और भौम प्रदोष व्रत ऋण मुक्ति के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इसी दिन आयुर्वेद के जनक भगवान धनवंतरि का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है।
त्रयोदशी की शाम को घर के बाहर अकाल मृत्यु निवारक चौमुखा दीपक यमराज को दान करना चाहिए। इस बार धनतेरस द्विपुष्कर योग का संयोग अपने आप में बेहद खास होगा। ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी ने बताया कि काशी के पंचांगों के अनुसार दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का प्रमुख काल प्रदोष काल माना जाता है। स्थिर लग्न की प्रधानता होती है। 31 अक्तूबर को अमावस्या प्रदोष व निशीथ काल में मिल रही है।
धनतेरस पर खरीदारी का मुहूर्त
प्रथम कुंभ लग्न में दिन में 1:59 बजे से 3:30 बजे तक
द्वितीय मुहूर्त शाम को 6:35 बजे से 8:31 बजे तक
धनतेरस पूजा मुहूर्त शाम 06:31 बजे से रात 08:13 बजे तक
प्रदोष काल शाम 05:38 बजे से रात 08:13 बजे तक
वृषभ काल शाम 06:31 बजे से 09:27 बजे तक
गोवर्धन पूजा पहला मुहूर्त – सुबह 06:34 बजे से सुबह 08:46 बजे तक
गोवर्धन पूजा दूसरा मुहूर्त – दोपहर 03:23 बजे से शाम 05:35 बजे तक
31 को 3:12 बजे लगेगी अमावस्या
दीपावली पर पूजन का शुभ मुहूर्त 31 अक्तूबर को स्थिर लग्न वृषभ में शाम को 6:27 बजे से 8:23 बजे रात्रि तक होगा। यह सबसे उत्तम मुहूर्त होगा। इसके बाद स्थिर लग्न सिंह के निशीथ काल में 12:55 बजे से 3:09 बजे तक होगा। वहीं इस बार दीपावली को बृहस्पतिवार का संयोग होने से माता लक्ष्मी की कृपा बरसेगी। कार्तिक अमावस्या तिथि 31 अक्तूबर को 3:12 बजे दिन में लग रही है और एक नवंबर को 5:13 बजे शाम तक रहेगी।