भवरेश्वर शिव मन्दिर में भक्तों ने चढ़ाया 9 किलो चांदी का अर्घा

रायबरेली। रायबरेली जिले के बछरावां क्षेत्र अन्तर्गत, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली जनपद की सीमा पर सुदौली में स्थित महाभारत कालीन पाण्डवों द्वारा स्थापित पौराणिक भवरेश्वर महादेव मन्दिर में राम बक्सखेड़ा परहेटा अर्जुनगंज जनपद लखनऊ निवासी रामेश्वर जायसवाल, पुष्पा जायसवाल, सुधीर जायसवाल, विकास जायसवाल, जितेन्द्र जायसवाल ने 9 किलो का चांदी का अर्घा चढ़ाकर परिवार की सुख समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की।

रामेश्वर जायसवाल ने बताया कि भवरेश्वर महादेव मन्दिर में उनकी और उनके परिवार की अटूट आस्था है। भवरेश्वर महादेव के स्मरण मात्र से भक्तों की संकट दूर हो जाते हैं। यहां भक्त सच्चे मन से जो भी मनोकामनाएं मांगते हैं उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। उन्होंने बताया कि उनके परिवार के सभी सदस्य शिव जी के अनन्य भक्त हैं जिनके द्वारा शिवलिंग पर 9 किलो का चांदी का अर्घा चढ़ाया गया है। मंदिर परिसर में मौजूद सत्येंद्र कुमार गोस्वामी ने बताया कि मान्यता पूरी होने पर विकास जायसवाल और उनके परिवार द्वारा 9 का किलो चांदी का चढ़ाकर विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण कर मनोकामनाएं मांगी।

भवरेश्वर महादेव मन्दिर के प्रति भक्तों की है अटूट आस्था

प्राचीन शिवालयों में शुमार भंवरेश्वर महादेव की महिमा निराली है। भक्त बताते हैं कि यहां का शिवलिंग द्वापर युग का है। महाबली भीम ने इसकी स्थापना की थी। जब पांडवों को वनवास हुआ था तब इसका नाम भीमाशंकर था। बताते हैं कुर्री सुदौली स्टेट की गायें यहां त्रयंबक नामक वन में चरने आती थी।

लौटने पर सभी गाये महल की गौशाला में दूध देती, लेकिन एक गाय यहां से लौट के बाद दूध नहीं देती थी। जब यह बात महल में फैली तो इसकी पड़ताल की गई। तब पता चला कि वन में एक स्थान घनी झाड़ियों से घिरा था, वहीं रोज वह गाय अपना दूध चढ़ा आती थी। जब उस स्थान की सफाई की गई तो शिवलिंग दिखाई दिया। तब उसी स्थान पर चबूतरा बनवाकर एक झंडा गाड़ दिया गया और इसका नाम पड़ा सिद्धेश्वर पड़ गया। बाद में मुगल शासक औरंगजेब इधर से सेना लेकर गुजर रहा था तो हठ वश उसने शिवलिंग की खुदाई शुरू कर दी। उसने जितना खोदवाया उतना ही विशाल शिवलिंग मिलता गया। आखिरकार जब अंत नहीं मिला तो औरंगजेब ने सैनिकों से शिवलिंग की तुड़ाई शुरू करवानी चाही, लेकिन शिवलिंग के पास से निकले असंख्य भंवरों ने सैनिकों पर हमला कर दिया। यह देख औरंगजेब ने क्षमा मांगी और एक गुम्बदनुमा छोटी सी मठिया बनवाई। तबसे इसका नाम भंवरेश्वर पड़ गया। बाद में मंदिर का जीर्णोद्धार कुर्री सुदौली स्टेट द्वारा कराया गया।

मन्दिर में पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी गोस्वामी परिवार के पास है। सावन मास में लाखों श्रद्धालु भवरेश्वर महादेव मन्दिर में जलाभिषेक के लिए आते हैं। वैसे तो हर सोमवार को भारी तादाद में श्रद्धालु आकर मंदिर में जलाभिषेक करके मनोकामनाएं मांगते हैं।

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