रायबरेली में ऐसा भी -एक सजायाफ्ता व्यक्ति अपनी ही जांच में स्पष्टीकरण देने का अधिकार रखता है ?

रायबरेली : जी हां हम रायबरेली की बात कर रहे हैं जहां पर एक ताजा मामला सामने आया है जिसके तहत खीरों ब्लाक के अंतर्गत भीतरी ग्राम सभा में वर्तमान प्रधान कौशलेंद्र सिंह 31 मई 2023 को एक मामले में 2 साल का साधारण कारावास सुनाया गया है यह सजा कोर्ट नंबर 16 से उनको दी गई है यह प्रकरण 1995 का है जिसमें उनके ऊपर आरोप था कि उन्होंने आरोपी को जान से मारने की धमकी दी सांसों के आधार पर उनके खिलाफ संबंधित धाराओं में कोर्ट ने उन को 2 साल की सजा सुनाई है लेकिन यहां तो तब हद हो गई जब इसकी शिकायत अधिकारियों से की गई की एक सजायाफ्ता व्यक्ति किसी संवैधानिक पद पर नहीं रह सकता है लेकिन जिले के होनहार जिला राज पंचायत अधिकारी ने इसकी जांच ना करा कर सीधे प्रधान से ही स्पष्टीकरण मांगा है कि क्या तुम्हें वाकई में सजा हुई है जबकि कोर्ट का प्रमाणित आदेश उनके पास दिया जा चुका है भीतरी ग्राम सभा के ग्रामीणों ने बताया कि यह सरासर गलत है कानून का उल्लंघन है कोर्ट ने जब सजा सुनाई है तो जरूर व्यक्ति दोषी होगा अगर कोर्ट की भी बात अधिकारी नहीं मानते हैं तो कानून का मतलब ही क्या अब देखना होगा कि अधिकारी महोदय प्रधान से कितने दिनों में स्पष्टीकरण लेते हैं और आगे की क्या कार्यवाही करते हैं फिलहाल यह एक बहुत बड़ा प्रश्न लोकतांत्रिक व्यवस्था में लगता हुआ दिख रहा है हमारे देश में संविधान सर्वोपरि है और कोर्ट के आदेश को सभी लोग सम्मान देते हैं और उसे मानते भी हैं और यहां तक कि शासन और प्रशासन कोर्ट के आदेश का पालन हो इसके लिए सख्त से सख्त कार्यवाही भी करते हैं.

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