पार्थ चटर्जी को लेकर भड़की कांग्रेस, अधीर रंजन चौधरी ने पत्र लिखकर ममता से की ये मांग
कांग्रेस ने ईडी के शिकंजे में आए टीएमसी के मंत्री पार्थ चटर्जी को तुरंत पार्टी से बाहर निकालने की मांग की है। इसे लेकर उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कांग्रेस नेता नेता अधीर रंजन चौधरी ने पत्र लिखा है। इसमें चटर्जी की पार्टी सदस्यता समाप्त करने के लिए कहा गया है। अधीर रंजन ने पत्र में लिखा है कि 2014-2021 के दौरान शिक्षा मंत्री रहे पार्थ चटर्जी पर शिक्षक भर्ती में अनियमतिता की बात अब सिद्ध हो रही है। ऐसे में उन्हें मंत्रालय से बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए।
अधीर रंजन चौधरी ने पत्र में कहा कि बंगाल का बच्चा-बच्चा जानता है कि पार्थ चटर्जी ने घोटाला किया। पर सरकार ने कुछ नहीं किया। जब कोर्ट ने इस मामले में दखल दिया तो जांच एजेंसियों ने कार्रवाई शुरू की। अब सच सामने आ गया है। पश्चिम बंगाल की सरकार पर यह एक बड़े धब्बा जैसा है।
दरअसल बंगाल में यह घोटाला लम्बे समय तक होता रहा। ऐसे आरोप है कि राज्य प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षक भर्ती घोटाले के वक्त चटर्जी के पास शिक्षा विभाग का प्रभार था। घोटाले की जानकारी जब सरकार को मिली तो उनसे यह विभाग ले लिया गया। पर बाद में कोर्ट ने सीबीआई से अनियमितताओं की जांच करने को कहा। इसी के तहत ईडी घोटाले में धन शोधन पहलू की जांच कर रही है। केंद्रीय एजेंसी स्कूल भर्ती घोटाले में कथित वित्तीय लेनदेन की जांच कर रही है। इसी जांच के दौरान ये खुलासा हुआ।
भ्रष्टाचार का समर्थन नहीं करती-ममता
इस प्रकरण पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वह भ्रष्टाचार का कतई समर्थन नहीं करतीं। अगर कोई भी दोषी पाया जाता है तो उसे सजा मिलनी चाहिए। ममता ने कहा कि पर मेरे खिलाफ जानबूझकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एक तय समय सीमा के अंदर सच सामने आना चाहिए।
भुवनेश्वर एम्स ने किया डिस्चार्ज
दूसरी ओर आरोपित मंत्री पार्थ चटर्जी को भुवनेश्वर एम्स ने भर्ती नहीं किया। पार्थ चटर्जी को इसी वजह से ईडी वापस कोलकाता जांच के लिए लेकर आ गयी है।
एम्स के डॉक्टर्स ने ये तो माना कि चटर्जी गंभीर बीमारियों से पीडि़त हैं, लेकिन उन्हें तत्काल अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं है। कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश पर चटर्जी को प्रवर्तन निदेशालय ने एम्स में भर्ती कराया था। स्कूल जॉब्स स्कैम केस में वह 3 अगस्त तक ईडी की हिरासत में हैं। कोलकाता के अस्पतालों पर यह आरोप लगते रहे हैं कि वहां टीएमसी नेताओं को बगैर उचित कारण के भर्ती कर लिया जाता है। खासकर तब जब वह किसी एजेंसी की कस्टडी में होते हैं।