राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लेकर सीएम योगी ने की बैठक, कहीं ये बातें
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वित होने से विद्यार्थी किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उनका व्यावहारिक व तकनीकी ज्ञान भी समृद्ध होगा। सभी विश्वविद्यालयों में वर्तमान सत्र से स्नातक स्तर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी कर दिया गया है। अब आगामी सत्र से परास्नातक स्तर पर भी इसे लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र के अनेक शैक्षिक संस्थान सराहनीय कार्य कर रहे हैं। उनके बेस्ट प्रैक्टिसेज को शासकीय संस्थानों में लागू किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री बुधवार को बैठक कर प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में बेसिक, माध्यमिक, उच्च, प्राविधिक, कृषि और व्यावसायिक शिक्षा विभाग के मंत्री व अधिकारी उपस्थिति रहे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के पूर्व चेयरमैन प्रो. डीपी सिंह की विशिष्ट मौजूदगी रही। मुख्यमंत्री ने सभी पात्र संस्थानों की तत्काल नैक ग्रेडिंग कराये जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि संस्थानों के बीच प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए। अकादमिक संस्थान डिग्री बांटने के केंद्र बन कर न रह जाएं। विश्वविद्यालयों में स्थानीय समस्याओं पर अन्तर्विषयी शोध कार्यों को प्रोत्साहित किया जाए। उद्योग-अकादमिक संबंधों को बढ़ाना चाहिए। सोशल कनेक्ट के जरिये शिक्षा संस्थानों द्वारा गांवों में लघु उद्योग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने माध्यमिक विद्यालयों में मूल्यांकन एवं परीक्षा सुधार, शिक्षकों की क्षमता वृद्धि एवं शिक्षकों की नियुक्ति, कौशल उन्नयन की दिशा में सुधार के लिए विशेष प्रयास की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि कक्षाओं में हमें समसामयिक तकनीकी जानकारी देने वाले विषयों को पाठ्यचर्या में शामिल करना चाहिए। आपदा प्रबंधन, सुरक्षित डिजिटल बैंकिंग, डेटा सिक्योरिटी, ट्रैफिक मैनेजमेंट, फायर सेफ्टी जैसे विषयों की प्रारंभिक जानकारी भी दी जाए।
प्रॉक्सी टीचर की एक भी गतिविधि स्वीकार्य नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘ऑपरेशन कायाकल्प’ और ‘स्कूल चलो अभियान’ का 1.33 लाख स्कूलों में सफल क्रियान्वयन हुआ है। विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास के लिए 6200 करोड़ से अधिक की धनराशि का निवेश किया गया है। यह सुनिश्चित किया जाए कि विद्यालय में बच्चों के दाखिले के साथ ही उनके गणवेश और पाठ्य सामग्री की उपलब्धता हो जाए। शिक्षकों की विद्यालय में उपस्थिति अनिवार्य रूप से हो। प्रॉक्सी टीचर की एक भी गतिविधि स्वीकार्य नहीं है। प्रत्येक परिषदीय विद्यालय में स्मार्ट क्लास और बुक बैंक की व्यवस्था कराई जाए।
अभ्युदय कंपोजिट विद्यालयों की होगी स्थापना
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्रत्येक विकास खण्ड में पांच से छह विद्यालयों के लक्ष्य के साथ अगले चार वर्षों में पांच हजार अभ्युदय कंपोजिट विद्यालयों की स्थापना कराई जाए। यह कार्य तेजी से किया जाए। हर जिले में न्यूनतम एक मॉडल कम्पोजिट विद्यालय की स्थापना हो। इस कार्य के लिए धन की कोई कमी नहीं होगी। आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी के रूप में विकसित करने के अच्छे नतीजे मिल रहे हैं। विद्यालयों में तकनीक को बढ़ावा दिया जाए।
स्कूली शिक्षा में निजी निवेश को बढ़ावा दिया जाए
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्कूली शिक्षा में निजी निवेश को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। विभिन्न शैक्षिक गतिविधियों में निजी भागीदारी को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि माध्यमिक कक्षाओं में प्रयोग आधारित शैक्षिक व्यवस्था को बढ़ावा दिया जाए। सभी राजकीय विद्यालयों में स्मार्ट क्लास की स्थापना हो। प्रतिष्ठित संस्थाओं के सहयोग से बेसिक व माध्यमिक शिक्षकों के प्रशिक्षण का कार्य सतत जारी रखा जाए।
माध्यमिक विद्यालयों का हो अपना पोर्टल
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि सभी 27 हजार 907 माध्यमिक विद्यालयों के लिए पृथक-पृथक वेब पोर्टल तैयार कराया जाए। पोर्टल पर कार्यरत शिक्षकों के बायोडाटा से लेकर, छात्रों की संख्या, विषयों की उपलब्धता, परीक्षा परिणाम, इतिहास, सामाजिक अवदान सहित विद्यालय से जुड़ी सारी जानकारी उपलब्ध हो। उन्होंने कहा कि बेहतर कार्य योजना बनाकर विद्यालयों का जीर्णोद्धार कराया जाए। यूजीसी के पूर्व चेयरमैन प्रो. डीपी सिंह ने ‘उत्तर प्रदेश में शिक्षा- नए क्षितिज की ओर’ विषय पर एक प्रस्तुतिकरण भी दिया। उन्होंने बताया कि एनईपी का उद्देश्य पूर्ण मानव क्षमता को प्राप्त कर अच्छे व्यक्तित्व के धनी वैश्विक नागरिक का निर्माण किया जाना है। भारत को वैश्विक स्तर पर शैक्षिक रूप से महाशक्ति बनाना तथा भारत में शिक्षा का सार्वभौमीकरण कर शिक्षा की गुणवत्ता को उच्च करना है।