रिटायर शिक्षक और बेटे पर फर्जी वसीयत से स्कूल की संपत्ति हड़पने का केस

रायबरेली। फर्जी वसीयत के सहारे सरकारी संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा जमाए बैठे रिटायर शिक्षक बृजेंद्र शरण गांधी और उसके बेटे शिवेंद्र शरण पर राजकीय इंटर बालिका कॉलेज देवानंदपुर की प्रभारी प्रधानाचार्य निधि चौरसिया की ओर से धोखाधड़ी का मुकदमा मिल एरिया थाने में केस दर्ज कराया गया है। प्रशासन और एसपी के आदेश पर दर्ज हुए मुकदमे में आईपीसी की 419, 420, 467, 468 471 और 353 धाराएं लगाई गई हैं।

दर्ज कराई गई रिपोर्ट में कहा गया है कि  रामेश्वरी देवी सिन्हा ने अपने पति कुंवर बहादुर सिन्हा की स्मृति में जन कल्याण के लिए अपने पति की समाधि स्थल पर निर्मित 2 मंजिला भवन और अपने जीवन भर रहने के बाद आवास और पक्का कुआं कुछ शर्तों के साथ शिक्षा विभाग को 30 सितंबर 1961 को दान कर दिया था। दान पत्र में ही लिखा था कि जीवित रहने तक आवासीय हिस्सा मेरे पास रहेगा उसके बाद वह स्कूल की संपत्ति हो जाएगा। दान पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि इस संपत्ति पर मेरा और मेरे किसी उत्तराधिकारी का कोई अधिकार भविष्य में नहीं रहेगा। उक्त संपत्ति पर मेरा कोई उत्तराधिकारी इस संपत्ति पर अपना दावा पेश करे तो वह नाजायज एवं असत्य होगा। राजस्व अभिलेख में संपत्ति स्कूल के नाम दर्ज हो गई ‌।

आरोप है कि रिटायर शिक्षक बृजेंद्र शरण गांधी और उसके बेटे ने शिवेंद्र शरण गांधी ने भूमि हड़पने के लिए 27 वर्ष बाद  रामेश्वरी देवी सिन्हा को भ्रमित करके 28 मई 1988 को अपने पक्ष में एक वसीयतनामा और मुख्तारनामा करा लिया। 28 नवंबर 1994 को अपनी संस्था तंत्र अनुसंधान मानव कल्याण समिति के अभय कुमार पुत्र श्यामसुंदर निवासी देवानंदपुर के नाम दान पत्र लिखा दिया।

दर्ज रिपोर्ट के मुताबिक,  रामेश्वरी देवी सिन्हा की मृत्यु के बाद आरोपी से रिटायर शिक्षक बृजेंद्र शरण गांधी ने अपने हक में एक अपंजीकृत वसीयत नामा 30 अक्टूबर 1996 को तैयार किया। इसमें लाखन सिंह ने  रामेश्वरी  सिन्हा की फोटो प्रमाणित की है।

आरोप है कि 1961 में संपत्ति दान किए जाने की जानकारी होने के बाद फर्जी तरीके से उनके हस्ताक्षर और फोटो पर प्रमाणित की गई।जालसाजों ने मूल्यवान संपत्ति हड़पने के लिए कूट रचित दस्तावेज तैयार करके शिक्षा विभाग को क्षति पहुंचाने का काम किया है। सरकारी संपत्ति हड़पने के मामले में आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।

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