एनसीपी नेता नवाब मलिक को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, खारिज की तत्काल रिहाई की याचिका

एनसीपी नेता और महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है है। सुप्रीम कोर्ट ने नवाब मलिक की तत्काल रिहाई की याचिका को खारिज कर दिया है। वहीं पीएमएलए कोर्ट ने उनकी न्यायिक हिरासत को छह मई तक बढ़ा दिया है। फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में आर्थर रोड जेल में बंद हैं।

नवाब मलिक ने ईडी द्वारा की गई अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए और अपने ऊपर लगे आरोपों को रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। नवाब मलिक की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जांच के इस स्टेज पर दखल नहीं देंगे।

ऐसे में आप उचित कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल कीजिए। वहीं मलिक ने अपनी रिहाई की मांग करते हुए कहा था कि PMLA कानून 2005 का है। लेकिन उनकी गिरफ्तारी 1999 में हुए लेन-देन के लिए की गई।

आपको बता दें कि 62 साल के महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक विकास मंत्री नवाब मलिक को ईडी ने इसी साल 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि उनके संबंध माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम से हैं। उसकी मदद से उन्होंने मुंबई के कुर्ला में मुनीरा प्लंबर की संपत्ति हड़प ली।

इस संपत्ति का वर्तमान बाजार मूल्य करीब 300 करोड़ रुपये है। जबकि नवाब मलिक का कहना है कि उन्होंने मुनीरा से यह संपत्ति 30 साल पहले कानूनी तौर पर खरीदी थी। हालांकि बाद में इस लेन-देन को लेकर मुनीरा का मन बदल गया था।

इससे पहले गुरुवार को ईडी ने भगोड़े अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में नवाब मलिक के आरोपपत्र दाखिल किया था। यह मामला मलिक के अंडरवर्ल्ड कनेक्शन और उससे जुड़ी संपत्तियों की खरीद में पैसों की हेराफेरी से जुड़ा है।

ईडी के वकीलों ने इस दौरान कहा था, कोर्ट की रजिस्ट्री में 5,000 से अधिक पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया गया है। धन शोधन रोकथाम कानून के मामलों की विशेष अदालत दस्तावेजों के सत्यापन के बाद आरोपपत्र पर संज्ञान लेगी।

 

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