Ayushman Arogya Mandir of Ahir village got submerged in the pond, CHO went missing since Covid period, villagers were forced to get treatment from quack doctors.

तालाब में समा गया अहीर गांव का आयुष्मान आरोग्य मंदिर,कोविड काल से ही सीएचओ हुए लापता, झोलाछाप डाक्टरो से इलाज कराने को ग्रामीण हुए मजबूर

बाराबंकी : चिकित्सा क्षेत्र के अहीरगांव में ग्रामीणों की स्वास्थ्य सुविधा के लिए लाखो की लागत से बनाया गया आयुष्मान आरोग्य मंदिर देख रेख के अभाव में भवन पूरी तरह से तालाब में समा चुका है। दरवाजे सड़कर स्वतः खुल गए! भवन के अंदर डाक्टर की जगह गुबरैले, मेढ़क, विच्छू और सांपो आशियाना बना चुका हैं। यदि ऐसा ही रहा तो आने वाले कुछ समय में भवन तालाब में समा जाएगा। ग्रामीणों की माने तो स्वास्थ्य विभाग जनता के हित में आरोग्य मंदिर बनवा तो दिया लेकिन यहां किस डाक्टर की तैनाती है वह किसी को नही मालूम आज तक डाक्टर का नाम छोडो उनका दीदार तक ग्रामीण नही कर पाए। अहीरगांव के ग्रामीण मजबूरन आस-पास के झोलाछाप डाक्टरो से अपना इलाज पहले भी कराते थे और आज भी उन्ही से करा रहे है। नाम ना छापने की शर्त पर ग्रामीणों ने बताया कि जब नया भवन बनकर तैयार हुआ था तो एक विजय यादव नाम का व्यक्ति आया और भवन की साॅफ साफई कराकर उसमे विजली पंखा, अलमारी के अलावा स्वास्थ्य उपकरण कुसी मेंज, बेंच आदि रखा दिया जिसके बाद वह माह में एक अथवा दो बार आए फिर वह कभी नाही आए। ग्रामीणों में चर्चा है कि आरोग्य मंदिर में विद्युत उपकरण के अलावा जो भी कीमती सामान रखा था वह सब कहा गया चोर उठा ले गए अथवा कागजो में ड्यूटी कर रहे डाक्टर अथवा सब चोरो की भेंट चढ़ गया। ग्रामीणों ने बताया कि अलमारी आज भी आरोग्य मंदिर में जस की तस पड़ी है पानी कम पड़ने के बाद चोर उसे भी चुरा ले जाएगें। ग्रामीणों का यह भी कहना था कि आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में जब डाक्टर को बैठना ही नही था तो इतना पैसा जिम्मेदारो ने सरकार का क्यों बर्बाद कर दिया। वही इस सम्बन्ध में अधीक्षक हैदरगढ़ सौरभ शुक्ला से बात किया गया तो उनका कहना था कि अहीरगांव में सीएचओ पूर्णिमा की ड्यूटी लगाई गई थी कोविड के बाद से उनका कोई अता पता नही है, चिकित्सा विभाग के उच्चाधिकारियों को पूर्व में सूचित किया गया था। कोई बैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी।

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