CJI की मौजूदगी में केंद्र पर बरसे अशोक गहलोत, नूपुर शर्मा मामले में की गई टिप्पणियों पर जताया एतराज
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत शनिवार, 16 जुलाई को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के वकीलों की महंगी फीस का मुद्दा उठाया। उन्होंने न्यायपालिका से संबंधित मुद्दों पर कई तीखी टिप्पणियां कीं। उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई कि कैसे नूपुर शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट के जजों की टिप्पणियों के लिए उन्हें निशाना बनाया गया।
उन्होंने यह बातें भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू और अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों की उपस्थिति में कहीं।
केंद्र पर निशाना: राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने सीजेआई के समक्ष कहा कि देश में तनाव का माहौल है। पिछले तीन महीने से मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील कर रहा हूं। लेकिन वो हमारी सुनने से रहे तो ऐसे में आप लोग (CJI) ही कुछ बोल सकते हैं। गहलोत ने कहा कि ब्यरोक्रेसी और ज्यूडिशरी का अपने रिटायरमेंट के बाद की सोचना देश के लिए गंभीर विषय है।
गहलोत ने कहा कि बीते दिनों 4 सुप्रीम कोर्ट के जजों ने देश में लोकतंत्र को चिंता जताई थी। फिर उन्हीं में से एक जज गोगोई मुख्य न्यायाधीश बन गये। वहीं रिटायर होने के बाद गोगोई मेंबर ऑफ पार्लियामेंट भी बन गए। इसके अलावा जिस विषय को लेकर उन्होंने सवाल खड़े किये, उनपर खुद उनके सीजेआई बनने के बाद भी उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि देश के हालात खराब हो रहे हैं। लोकतांत्रिक तरीके से जिस सरकार को जनता चुनती है उसे हॉर्स ट्रेडिंग के जरिए तोड़ने की कोशिश हो रही है। राजस्थान में हमारी भी सरकार जैसे तैसे बच गई। नहीं तो अभी यहां कोई दूसरा सीएम खड़ा रहता। बता दें कि सीएम गहलोत ने जयपुर में नालसा द्वारा आयोजित राज्य विधिक सेवा प्राधिकरणों के 18 वें अखिल भारतीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इसका उद्घाटन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने किया।
वकीलों की फीस पर बोले गहलोत: सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि यह आम बात हो गई है कि जितना महंगा वकील होगा, उससे जज उतना ही इंप्रेस होगा। यह बड़ी चिंता का विषय है कि वकील का चेहरा देखकर जज फैसला करें।
नूपुर शर्मा मामले में क्या बोले: मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा, अभी हाल ही में न्यायमूर्ति पारदीवाला और न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने नूपुर शर्मा मामले टिप्पणी की। न्यायपालिका का सम्मान करना हमारा फर्ज बनता है। लेकिन 116 लोगों को (न्यायाधीशों के खिलाफ) खड़ा किया गया। जिनमें उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश, नौकरशाह और बड़े-बड़े अधिकारी शामिल थे। पता नहीं कौन कौन थे वे? इन लोगों के कैसे मैनेज किया गया और किसने मैनेज किया और इसे देश में मुद्दा बना दिया।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने भाजपा से निलंबित नूपुर शर्मा की टिप्पणियों पर एक जुलाई को फटकार लगाई थी। पीठ ने कहा था कि उनकी (नूपुर) ‘अनियंत्रित जुबान’ ने पूरे देश को आग में झोंक दिया।