सर्जरी कर छह साल के बच्चे की डेढ़ किग्रा की तिल्ली निकाली

  • बच्चा जन्म से ही बीटा थैलेसीमिया से पीड़ित था।

नोएडा। पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट और चाइल्ड हेल्थ (चाइल्ड पीजीआई) में पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के चिकित्सक ने छह साल के बच्चे की सर्जरी कर 1.5 किलोग्राम की स्प्लीन (तिल्ली) को निकाल कर बच्चे को पेट के खिंचाव और बार-बार खून चढ़ाने की परेशानी से निजात दिलायी है। बच्चा जन्म से ही बीटा थैलेसीमिया से पीड़ित था।

चाइल्ड पीजीआई के निदेशक डॉ. अजय कुमार ने बताया बच्चा जन्म से ही बीटा थैलेसीमिया से पीड़ित था जिसकी वजह से उसके पेट में भारी खिंचाव रहता था। उसे बार-बार रक्त चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती थी, जिसकी वजह से बच्चे को काफी असुविधा का सामना करना पड़ता था। पेट की परेशानी और बार-बार रक्त चढ़ाने के बावजूद लगातार कम हीमोग्लोबिन की वजह से बच्चे की सर्जरी की गयी। यह सर्जरी डॉ. नील अग्रवाल, पीडियाट्रिक सर्जन और उनकी टीम ने की। सर्जरी कर बच्चे के 1.5 किग्रा की तिल्ली को निकाल दिया गया । बच्चे को करीब दस दिनों के लिए अस्पताल में भर्ती रखा गया। स्वस्थ हो जाने के उपरांत उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। छह वर्षीय बच्चा निठारी, नोएडा का रहने वाला है।

चिकित्सकों के अनुसार आम तौर पर थैलेसीमिया वाले बाल मरीजो की तिल्ली को निकालने की आवश्यकता नही पड़ती है, किंतु इस केस में मरीज की तिल्ली इतनी बड़ी हो गयी थी कि बच्चे को काफी असुविधा हो रही थी। खून चढ़ाने के बावजूद एक दिन के अंदर ही उसका हीमोग्लोबिन काफी कम हो जाता था। लगातार हीमोग्लोबिन कम होने की वजह से मरीजों के दिल में भी कुछ बदलाव हो जाता है, जिससे सर्जरी के दौरान जोखिम भी बढ़ जाता है।

क्या है थैलेसिमिया

थैलेसिमिया रक्त से संबंधित एक ऐसी आनुवांशिक बीमारी है जो रक्त कोशिकाओं के कमजोर होने और नष्ट होने के कारण होती है। यह किसी जीन की अनुपस्थिति के कारण होती है। हीमोग्लोबिन प्रोटीन के निर्माण को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। होमोग्लोबिन प्रोटीन की एक ऐसी जरूरी चीज है जो लाल रक्त कोशिकाओं को ऑक्सीजन ले जाने में मदद करता है। रक्त से संबंधित इस आनुवांशिक बीमारी का रोगियों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।

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